Saturday, April 12, 2014

मैं तेरा हीरो


फिल्म समीक्षा


पैसा वसूल मैं तेरा हीरो

धीरेन्द्र अस्थाना

यह डेविड धवन की फिल्म है। इससे आप यह उम्मीद तो नहीं ही कर सकते कि यह किसी सामाजिक बदलाव की बात करेगी। यह कोई संदेश भी नहीं देती है। संदेश देने को डेविड धवन फिल्म का मकसद नहीं मानते। वह केवल मनोरंजन में यकीन रखते हैं। इसीलिए उनकी यह फिल्म पूरी तरह मनोरंजक और पैसा वसूल फिल्म है। फिल्म का आरंभ तो थोड़ी गंभीरता से होता है लेकिन इंटरवल के बाद वह सौ फीसदी कॉमेडी में बदल जाती है। फिल्म के नायक, खलनायक, नायिकाएं और सहायक सब के सब कॉमेडी के अवतार में दाखिल हो जाते हैं। फिल्म की कहानी एक प्रेम त्रिकोण है लेकिन इस बार एक लड़का दो लड़कियों में इनवॉल्व नहीं है। दो लड़कियां एक लडके पर मर मिटी हैं। लड़का है वरूण धवन और लड़कियां हैं इलियाना डिक्रूज तथा नरगिस फाखरी। वरूण बंगलूर के एक कॉलेज में पढ़ने आता है। आते ही वह इलियाना से टकरा जाता है और उसे दिल दे बैठता है। इलियाना से अरूणोदय सिंह को प्यार है। वह एक गुंडा किस्म का पुलिस वाला है। उसके आतंक के कारण पूरा कॉलेज इलियाना को भाभी कह कर बुलाता है। वरूण इस आतंक में सेंध लगाता है और इलियाना में भी हिम्मत भरता है। वह अरूणोदय के गुंडों को भी धूल चटाता है। अरूणोदय द्वारा किया गया एक शूट केस वह मीडिया को बुला कर एक्सपोज करवा देता है। अरूणोदय सस्पेंड हो जाता है और इसी बीच इलियाना को किडनैप कर लिया जाता है। अरूणोदय के जरिए वरूण को पता चलता है कि इलियाना का अपहरण अनुपम खेर ने करवाया है जो थाईलैंड का खतरनाक माफिया है। अपहरण की वजह यह है कि अनुपम की बेटी नरगिस वरूण को दिल दे बैठी है। अब अनुपम को बेटी की शादी वरूण से करानी है। यहां इंटरवल होता है और फिल्म डेविड धवन स्टाइल में कॉमेडी की पटरी पर उतर जाती है। अब सारे पात्र विदूषक हैं। उनका एक मात्र मकसद दर्शकों को हंसाना है। अब सारे पात्र किसी न किसी घटना के चलते अनुपम खेर के महल में हैं। फिल्म में फन है, मस्ती है, नाच गाना है, मारामारी है और इस कदर हास्य है कि दर्शक रह रह कर हंसते रहते हैं। फिल्म के ज्यादातर गाने पहले ही हिट हो चुके हैं।  प्रसिद्ध निर्माता निर्देशकों के नयी जेनरेशन के ज्यादातर बेटे बतौर हीरो फ्लॉप हो चुके हैं। लेकिन डेविड धवन के बेटे वरूण लगता है कि अपना एक मुकाम बना लेंगे। वरूण ने अच्छा काम किया है और दर्शकों को प्रभावित करने में सफल रहे हैं। इलियाना ने वरूण का अच्छा साथ दिया है। वरूण के साथ इलियाना की केमेस्ट्री जमती है। लेकिन नरगिस नेचुरल ऐक्टिंग कर पाने में असफल रही हैैं। राजपाल यादव एक सूत्रधार की तरह पूरी फिल्म को साधे रखने में कामयाब हुए हैं। एक नाटकीय घटनाक्रम के बाद फिल्म में वरूण-इलियाना और अरूणोदय-नरगिस का मिलन हो जाता है। फिल्म एक सुखद मोड़ पर पहुंच कर समाप्त हो जाती है। अनुपम खेर की एंट्री इंटरवल के बाद होती है और उसके बाद तो वह पूरी फिल्म में छाए रहते हैं। दिमाग घर पर रख कर जाइये और फिल्म का मजा लीजिए। 


निर्देशकः डेविड धवन
कलाकारः वरूण धवन,इलियाना,नरगिस,अनुपम खेर,अरूणोदय सिंह, राजपाल यादव, सौरभ शुक्ला।
संगीतः साजिद-वाजिद 


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