‘काका’ को देश का आखिरी सलाम
धीरेन्द्र
अस्थाना
रोमांस के
बादशाह राजेश खन्ना को बारिश में नम आंखों के साथ उनके परिजनों, दोस्तों
और चाहनेवालों ने अंतिम विदाई दी। जब फूलों से लदे हुए ट्रक में रखे एक पारदर्शी
बॉक्स में राजेश खन्ना का पार्थिव शरीर विले पाल्रे स्थित पवन हंस श्मशान स्थल पर
पहुंचा तो वहां एक अजीब सा भावुक मंजर उपस्थित हो गया। उत्तेजना, सनसनी
और शोकग्रस्त लोगों के अपार समूह में अपने चहेते सुपर स्टार की एक झलक पाने की
भारी बेचैनी थी। लोग अपने-अपने कैमरों और मोबाइल से जीते जी किंवदंती बन चुके
राजेश खन्ना की इस अंतिम यात्रा को लगातार कैद कर रहे थे। लोगों की भीड़ सड़क पर
लगे लोहे के डिवाइडर को तोड़ने पर अमादा थी। लोगों ने राजेश खन्ना की फेम जड़ित
तस्वीरें हाथ में उठा रखी थीं,
जिनमें से कुछ पर लिखा था -‘राजेश
खन्ना आपके बिना देश अधूरा।’ सुबह साढ़े ग्यारह बजे के करीब राजेश खन्ना के दामाद अभिनेता
अक्षय कुमार और उनके बेटे आरव ने मिलकर काका को मुखाग्नि दी। सुरक्षा के भारी
इंतजाम किए गए थे। बेहद चुने हुए लोगों को ही श्मशान गृह के भीतर जाने दिया गया
था। मीडियाकर्मी भी भीतर नहीं जा पाए थे। खबरों के मुताबिक, बॉलीवुड
की बीसियों नामचीन हस्तियां श्मशान गृह के भीतर मौजूद थीं। सुबह करीब दस बजे मुंबई
के कार्टर रोड स्थित ‘आशीर्वाद‘
बंगले से राजेश खन्ना की अंतिम यात्रा
शुरू हुई। काका का पार्थिव शरीर एक पारदर्शी बॉक्स में फूलों से लदे ट्रक पर रखा
गया था ताकि आम जनता काका के अंतिम दर्शन सहजता से कर सके। ट्रक के ऊ पर राजेश
खन्ना की पत्नी डिंपल कपाड़िया,
दामाद अक्षय कुमार, बेटी
रिंकी और नाती आरव मौजूद थे। ट्रक के सामने राजेश खन्ना के युवा दिनों की बड़ी सी
तस्वीर रखी गई थी। अंतिम यात्रा के समय मुंबई में भारी बारिश चल रही थी। बारिश के
बावजूद हाथ में छाता लिए लोग लगातार राजेश खन्ना के इस कारवां में शामिल होते जा
रहे थे। शव यात्रा में दूर दूर तक, काले, पीले, नीले, लाल
छाते दिख रहे थे। ट्रक के श्मशान स्थल तक पहुंचने तक अपार जनसमूह इकट्ठा हो चुका
था। इतना ज्यादा लंबा और बड़ा ट्रैफिक जाम बीते दसियों वर्षों में मुंबईकरों ने
नहीं देखा। इस ट्रैफिक जाम में अभिनय के शहंशाह अमिताभ बच्चन, उनके
बेटे अभिषेक बच्चन और निर्देशक सतीश कौशिक भी फंसे हुए थे। यही कारण था कि अमिताभ
और अभिषेक को अपनी गाड़ी से उतरकर अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए पैदल चलना
पड़ा। इनकी एक झलक पाने के लिए भीड़ में अफरा-तफरी
मच गई। पुलिस के सुरक्षाचक्र में दोनों को श्मशान स्थल के भीतर ले जाया गया। भीड़
को काबू में करने के लिए पुलिस को हल्के लाठीचार्ज का भी सहारा लेना पड़ा। राजेश
खन्ना अपने समय में स्टाइल, आत्ममुग्धता और अभिमान के प्रतीक बन चुके थे। कॉलेज में कोई लड़का स्टाइल
मारता था तो लड़कियां उसे चिढ़ाती थीं -‘क्या रे, खुद को राजेश
खन्ना समझता है क्या?’ लेकिन पिछले कुछ
समय से राजेश खन्ना मानो अपना ही यह गाना जी रहे थे -‘हजार राहें मुड़ के देखीं कहीं से कोई सदा न
आयी..‘ लेकिन जिन लोगों ने उनकी अंतिम यात्रा देखी
है वे इस बात के गवाह हैं कि राजेश खन्ना को अपना अंतिम सलाम देने के लिए लोग पूरी
मुंबई से इकट्ठा हुए थे।’