Monday, September 13, 2010

दबंग

फिल्म समीक्षा

‘दबंग‘ आयी यूपी बिहार लूटने

धीरेन्द्र अस्थाना

बॉलीवुड में धारा के विरुद्ध जाकर अच्छा सिनेमा बनाने के लिए प्रसिद्ध हैं युवा निर्देशक अनुराग कश्यप। उनके खाते में ‘नो स्मोकिंग‘, ‘गुलाल‘, ‘देव डी‘ जैसी बेहतरीन फिल्में हैं लेकिन ऐसी फिल्में पैसा नहीं देतीं। शायद यही वह पाठ है जो अनुराग के भाई अभिनव कश्यप ने उनसे सीखा है। इसलिए अपने करियर का आरंभ करने के लिए उन्होंने मुख्य धारा के सिनेमा यानी मसाला फिल्म का दामन थामा। और अपनी पहली ही फिल्म में वह सुपरहिट हैं। बहुत दिनों के बाद कोई फिल्म देखी जो ’हाउसफुल‘ मिली, जिसमें दर्शक सीटियां बजा रहे थे, कुर्सी से उठकर नाच रहे थे, यह गाते हुए, ’हुड़ दबंग दबंग...‘
अभिनव ने अपनी पहली फिल्म में सलमान खान को तो केंद्र में रखा ही, उनकी उस छवि को भी उभारा जिसके लिए सलमान मूलतः जाने जाते हैं यानी दबंगई। और यह फॉर्मूला काम कर गया है। उ.प्र. के लालगंज इलाके में घटने वाली ’दबंग‘ मुहावरे की भाषा में यूपी बिहार लूटने आ गयी है। पिछली ईद पर सलमान की एक्शन फिल्म ’वांटेड‘ हिट हुई थी। इस बार की ईद पर एक और एक्शन फिल्म ’दबंग‘ हिट हो गयी है। सलमान का तो अपना एक बड़ा दर्शक वर्ग है ही जो उनकी कोई भी फिल्म देखता है। ’दबंग‘ से उनकी लोकप्रियता और बढ़ेगी। लेकिन इस ’दबंग‘ का असली फायदा शत्रुघ्न सिन्हा की बेटी सोनाक्षी सिन्हा को जरूर मिलेगा जिनकी यही पहली फिल्म है। उप्र के एक गरीब बाप की निरीह बेटी के किरदार को उन्होंने बखूबी निभाया है। फिल्म की कहानी पर तो विशेष चर्चा संभव नहीं है लेकिन उसके कुछ प्रसंग बड़े मार्मिक और अनूठे हैं। जैसे किशोर सलमान द्वारा चारा काटने की मशीन से अपनी जन्म कुंडली काट देना। यह कुंडली पर नहीं पुरुषार्थ पर भरोसा करने का प्रतीक है। जैसे सोनाक्षी के पिता का किरदार निभाने वाले शराबी महेश मांजरेकर का आत्महत्या कर लेना ताकि सोनाक्षी अपने पिता की जिम्मेदारी से आजाद होकर सलमान से विवाह कर सके। फिल्म की एक और विशेषता उसका वह नंबर वन चल रहा गाना है जो मलाईका अरोड़ा खान पर बड़ी बेबाकी से फिल्माया गया- ’मुन्नी बदनाम हुई डार्लिंग तेरे लिए।‘
इस फिल्म में विनोद खन्ना, डिंपल कपाड़िया, ओमपुरी, महेश मांजरेकर, अनुपम खेर और टीनू आनंद जैसे दिग्गजों ने काम किया है तो सोनू सूद और अरबाज खान ने भी अपने अभिनय की छाप छोड़ी है। फिल्म का गीत-संगीत तो पहले ही हिट हो चुका है। फिल्म ’वांटेड‘ से ‘दबंग‘ की तुलना तो होगी लेकिन होनी नहीं चाहिए। दोनों फिल्मों में कॉमन सिर्फ एक ही चीज है-एक्शन। तो क्या एक्शन ही सफलता का सच है?

निर्देशक ः अभिनव कश्यप
कलाकार: सलमान खान, सोनाक्षी सिन्हा, अरबाज खान, सोनू सूद, मलाईका अरोड़ा (आइटम नंबर), अनुपम खेर, ओमपुरी, डिंपल आदि।
संगीत: साजिद-वाजिद-ललित पंडित

Saturday, September 4, 2010

वी आर फैमिली

फिल्म समीक्षा

वी आर फैमिली: रियलिटी पर भारी फैंटेसी

धीरेन्द्र अस्थाना

करण जौहर के प्रोडक्शन की नयी फिल्म ’वी आर फैमिली‘ एक बेहतरीन फटकथा है, जिसमें एक असंभव इच्छा फैंटेसी की तरह रहती है। हॉलीवुड की हिट फिल्म ’स्टेपमॉम‘ पर आधारित ’वी आर फैमिली‘ का यथार्थ भारतीय समाज और सच्चाई को अभिव्यक्त नहीं करता, इसलिए इस फिल्म का देश के बड़े दर्शक वर्ग के साथ जुड़ाव संभव नहीं लगता। एक मां के जीवित रहते बच्चों के लिए दूसरी मां लेकर आने की अवधारणा फैंटेसी हो सकती है रियलिटी नहीं। लेकिन ’वी आर फैमिली‘ में यह अवधारणा ही रियलिटी है। हो सकता है कि आज के उत्तर आधुनिक समय का जो सिनेमा है उसके जादुई यथार्थवाद का यह समकालीन आईना हो। लेकिन थोड़ी देर के लिए अगर हम यह मान लें कि सिनेमा समाज और यथार्थ वगैरह से अलग एक स्वायत्त इकाई या कृति है तो ’वी आर फैमिली‘ की कुछ विशेषताओं पर चर्चा की जा सकती है।
पहली विशेषता। यह काजोल की फिल्म है और काजोल के अविस्मरणीय अभिनय के लिए हमेशा याद की जाएगी। एक मरती हुई मां की इच्छा कि उसके तीन अबोध बच्चों को संभालने कोई दूसरी औरत आ जाए। लेकिन जब दूसरी औरत बच्चों के साथ दोस्ती तथा अपनत्व की पगडंडी पर आगे बढ़ने लगे तो मूल मां के भीतर ईर्ष्या का ज्वालामुखी धधकने लगे.. इस कठिन और जटिल मनोभाव को काजोल ने लाजवाब और सहज अभिव्यक्ति दी है। तलाकशुदा होने के बावजूद पति अर्जुन रामपाल को लेकर मन में मचलती मंद-मंद तड़प को वह सार्थक ढंग से सामने लाती है। दूसरी विशेषता। फिल्म की पटकथा बेहद कसी हुई और संवाद मर्मस्पर्शी तथा धारदार हैं। अपने आरंभ होने के साथ ही फिल्म में तनाव की रचना होने लगती है। यह तनाव पूरी फिल्म को बांधे और साधे रखता है। आमतौर पर चुलबुली और शोख युवती का किरदार निभाने वाली करीना कपूर ने इस फिल्म में जैसा रोल किया है वह अवसाद और दुख के अटूट अकेलेपन को पैदा करता है। दो स्त्रियों के विकट संघर्ष में फंसे निहत्थे और विकल्पहीन व्यक्ति की भूमिका को अर्जुन रामपाल ने गजब ढंग से निभाया है। सबसे बेमिसाल है फिल्म के तीन बच्चों का सहज और भावप्रवण अभिनय। कई स्थलों पर फिल्म रुलाती भी है इसलिए इसे मनोरंजन के लिए तो हर्गिज नहीं देखा जा सकता। लेकिन अगर आप एक सौतेली मां और दूसरी औरत के दर्द से दो-चार होना चाहते हैं तो ’वी आर फैमली‘ एक उम्दा अनुभव है। लेकिन बॉलीवुड में बीमारी लौट आयी है क्या? पिछले हफ्ते ही कैंसर से पीड़ित जॉन अब्राहम की ‘आशाएं‘ देखी थी। इस हफ्ते काजोल!

निर्माता: करण जौहर
निर्देशक: सिद्धार्थ मल्होत्रा
कलाकार: अर्जुन रामपाल, काजोल, करीना कपूर, आंचल मुंजाल, दिया सोनेचा, नोमिनाथ गिन्सबर्ग
संगीत: शंकर-अहसान-लॉय