Wednesday, November 21, 2012

अइया


फिल्म समीक्षा

सपने के भीतर का सपना ‘अइया‘

धीरेन्द्र अस्थाना

अगर सिनेमा एक सपना है तो रानी मुखर्जी की नयी फिल्म ‘अइया‘ सपने के भीतर चलता सपना है। ‘नो वन किल्ड जेसिका‘ के पूरे बीस महीने के बाद रानी की कोई फिल्म आयी है और उसके साथ बतौर प्रोड्यूसर अनुराग कश्यप का नाम जुड़ा है तो यह यकीन तो था कि फिल्म खराब तो नहीं ही होगी। लीक से हटकर बनी हुई फिल्म है और देखे जाने के दौरान थोड़ी सी संवेदनशीलता और थोड़े से दिमाग की मांग करती है। आमतौर पर होता यह है कि हीरो ही हीरोईन के प्यार में दीवाना दिखाया जाता है। ‘अइया‘ में मामला उलट गया है। फिल्म के हीरो पृथ्वीराज को पता ही नहीं है कि रानी मुखर्जी उसके प्यार में मरी जा रही है। एक निम्न मध्य वर्गीय मराठी परिवार की इकलौती कमाऊ लड़की रानी मुखर्जी हमेशा सपनों की दुनिया में विचरण करती रहती है। सपनों में सड़क जैसी गंदगी, ऊबड़ खाबड़पन और कचरा नहीं है। सपनों में यथार्थ से पिटता वर्तमान नहीं है। इसलिए जीवन के यथार्थ से घबरा कर रानी जब तक फैंटेसी की दुनिया में उछलती कूदती, गाती नाचती और रोमांस करती रहती है, खुश रहती है। फैंटेसी से बाहर निकली नहीं कि घर का दारुण यथार्थ, जमाने की किचकिच और उदास एकांत सिर पर नाचने लगता है। जीवन से बार बार का यह पलायन रानी को अपने कॉलेज के एक पेंटर छात्र पृथ्वी राज की तरफ आकर्षित कर देता है। अंत से पहले तक पृथ्वीराज को एक रफ-टफ, रूखा और कुछ कुछ बदतमीज किस्म के किरदार में पेंट किया गया है। इसके इर्द-गिर्द दारू पीने और ड्रग्स लेने की कहानियां फैली हुई हैं। उसे पता ही नहीं है कि उसके कॉलेज की लाइब्रेरियन रानी मुखर्जी उससे दीवानों की तरह प्यार करती है। इधर रानी मुखर्जी की सगाई का दिन आ गया है और उधर रानी मंडप से गायब हो कर पृथ्वी का पीछा करते करते उस अगरबत्ती के कारखाने में पहुंच जाती है, जिसका मालिक पृथ्वी है। हालांकि पृथ्वी की महक से रह-रह कर आनंदित हो जाने वाले रानी के दृश्य कुछ अतिरेकपूर्ण हो गये हैं। जैसे ‘द डर्टी पिक्चर‘ में विद्या ने खतरनाक डांस किया है वैसी ही रानी ने भी ‘अइया‘ में धमाल मचा दिया है। पारंपरिक सौंदर्य बोध पर तमाचा मारने वाली यह फिल्म अंत में परंपरा के रास्ते पर ‘यू टर्न‘ लेकर सुखद अंत के नोट पर समाप्त हो जाती है। रानी के शानदार-जानदार अभिनय और मौलिक किस्म की उम्दा कॉमेडी के लिए फिल्म देखी जा सकती है। 

निर्देशक: सचिन कुंदालकर
कलाकार: रानी मुखर्जी, पृथ्वीराज
संगीत: अमित त्रिवेदी

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