Wednesday, March 21, 2012

एक दीवाना था

फिल्म समीक्षा
कहानी के घर में ‘एक दीवाना था ‘

धीरेन्द्र अस्थाना

बिल्कुल ऐसा लगा जैसे दो हजार बारह के अत्याधुनिक और बेपरवाह समय में सन् सत्तर-पिचहत्तर की कोई साहित्यिक प्रेम कहानी घट रही हो। बहुत दिनों के बाद युवाओं के प्यार पर केंद्रित कोई समझदार, संवेदनशील और विश्वसनीय फिल्म सामने आयी है। निर्देशक गौतम मेनन ने अपनी अगली फिल्म ‘एक दीवाना था ‘ को बेहद साफ सुथरे और कलात्मक ढंग से प्यार की एक ऐसी यात्रा में बदल दिया है जिसमें युवा दिलों की उमंग है, उलझन है, सहजता है, मुश्किल है, कनफ्युजन है और है निर्णय लेने का हौसला। इस फिल्म के माध्यम से ‘यूथ ओरियेन्टेड‘ विषय या विमर्श की कहानी के घर में वापसी हुई है। प्रतीक बब्बर ने अपने सहज और जीवंत अभिनय से यह दर्ज किया है कि बॉलीवुड को एक और नया रोमांटिक हीरो मिल गया है जिस पर भरोसा किया जा सकता है कि बहुत जल्द वह अपना विशेष दर्शक वर्ग बना लेगा। एक मध्यवर्गीय युवक की प्यार पाने की तड़प् और हड़बड़ी को गहरी दीवानगी के साथ अभिव्यक्त करने की उसकी अदाकारी ने फिल्म में जान डाल दी है। कैटरीना कैफ के बाद बॉलीवुड को एमी जैक्सन के रुप में एक और विदेशी हीरोईन मिल गयी है जो भारतीय रंग-ढंग और बॉडी लैंग्वेज के अनुरुप ढल गयी है। अपनी पहली ही फिल्म में एमी ने जता दिया है कि वह भविष्य की उम्मीद है। केरल की लड़की और महाराष्ट्रª का लड़का, इन दोनों युवाओं की उलझन और बाधाओं से भरी प्रेम कहानी को दुखांत पर पहुंचने के बाद जिस खूबसूरती से सुखांत स्पर्श दिया है वह काबिले तारीफ है। कोई बनावटी फार्मूला नहीं। कोई अविश्वसनीय छलांग नहीं। सारा कार्य व्यापार खरी खरी संवेदनाओं का। पूरी उतार चढ़ाव भरी यात्रा बिल्कुल वैसी जैसी जिदंगी की जंग, जिसमें कभी जीत तो कभी हार। कुछ दृश्य और उपकथाएं कमल हासन की फिल्म ‘एक दूजे के लिए‘ की याद दिलाते हैं। नकल के संदर्भ में नहीं प्यार के तीव्र आवेग के संदर्भ में। कुछ संवाद बहुत प्रभावी और यथार्थवादी है। जैसे प्रतीक का एमी को यह कहना-‘वह जो देखते ही शटाक से हो गया था ना , वही प्यार है।‘ या रमेश सिप्पी की फिल्म कर रहे कैमरा मैन का प्रतीक से कहना-‘ अपनी गर्लफ्रेंड के भाई की नाक कोई तोड़ता है क्या?‘ जिंदगी से एमी के चले जाने के बावजूद प्रतीक द्वारा एमी के वजूद में ही रहते रहना और एमी की जिंदगी पर फिल्म बनाना एक दीवाना था को एक मर्मस्पर्शी उंचाई देता है। बारीक प्यार करने और पसंद करने वालों के लिए अनिवार्यतः देखने लायक फिल्म। ए ़ आर ़रहमान और जावेद का जादू बोनस समझ लें।
निर्देशक: गौतम मेनन
कलाकारः प्रतीक बब्बर, एमी जैक्सन,मनु रिषी,सचिन खेडेकर, सामंथा।
संगीत: ए ़ आर. रहमान

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