Thursday, March 22, 2012

पान सिंह तोमर

फिल्म समीक्षा

बगावत के बीहड़ में पान सिंह तोमर

धीरेन्द्र अस्थाना

बरसों बरस पुरानी कहावतें हैं, घटनाएं हैं और उदाहरण हैं-कोई जन्मजात अपराधी या डकैत या बागी नहीं होता। सामाजिक-राजनैतिक-प्रशासनिक अन्याय और दमन ही आदमी को बगावत के बीहड़ में धकेलता है। जुल्म के विरुद्ध हथियार उठा लेने के पीछे हमेशा से यही एक यथार्थ काम करता आ रहा है। जब इस यथार्थ को बाजार की चाशनी में लपेट कर रोमानी नजरिए से धर्मेन्द्र, सुनील दत्त, दिलीप कुमार, अमजद खान की फिल्में बनायी जाती हैं तो वह शुद्ध मनोरंजन होता है। लेकिन जब इस यथार्थ को समकालीन और ज्वलंत प्रश्नों का ताना बाना पहना कर पेश किया जाता है तो वह विमर्श बनता है। निर्देशक तिग्मांशु धूलिया की नयी फिल्म ‘पान सिंह तोमर‘ इसी विमर्श और मकसद वाली श्रेणी की फिल्म है जो ‘मीनिंगफुल सिनेमा‘ के दायरे को थोड़ा और बड़ा करती है। देश के लिए गोल्ड मेडल जीतने वाले एक तेज धावक पान सिंह तोमर के बागी बन चंबल के बीहड़ में उतर जाने के सफर को अत्यंत सधे हुए और रोचक ढंग से बयान करने वाली यह फिल्म खेल और डकैती के कोलाज तथा द्वंद्व को जिस प्रभावशाली ढंग से उठाती है, वह अद्भुत और अविस्मरणीय है। फिल्म देख कर लगता है कि पान सिंह तोमर के सरल और जटिल चरित्र का विरोधाभास जिस अंदाज और अदा के साथ इरफान खान ने निभाया है वैसा किसी स्टार कलाकार के लिए करना शायद बेहद कठिन होता। कहानी सिर्फ इतनी है कि इरफान एक सरल ग्रामीण है जो फौज में शामिल होता है। उसका रुझान दौड़ने में है सो वह धावक बन जाता है। पूरे विश्व में भारत का नाम रौशन करता है। रिटायर होकर जब वह गांव लौटता है तो उसका अपना चचेरा परिवार जुल्म की बंदूकें ताने वहां तैनात मिलता है। पुलिस-प्रशासन से न्याय नहीं मिलता तो मजबूरी में पान सिंह तोमर हाथ में बंदूक लेकर चंबल के बीहड़ में उतर जाता है। वहां वह अपना ‘गैंग‘ बनाता है और एक दिन पुलिस मुठभेड़ में मार दिया जाता है। इस कहानी की लोमहर्षक घटनाओें को निर्देशक ने बेहद ‘कूल‘ ढंग से फिल्माया है। फिल्म का एक भी हिस्सा ‘लाउड‘ नहीं है। डकैत का भी अपना एक परिवार होता है इस सच्चाई के कुछ दृश्यों ने फिल्म को मार्मिक स्पर्श दिया है। फिल्म के संवाद इसकी जान हैं तो अभिनय आत्मा। अनिवार्य रुप से देखने लायक फिल्म है।

निर्देशक: तिग्मांशु धूलिया
कलाकार: इरफान खान, माही गिल, विपिन शर्मा
संगीत: अभिषेक रे

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