फिल्म समीक्षा
दिलचस्प मगर अवास्तविक ‘एक मैं और एक तू‘
धीरेन्द्र अस्थाना
बेहतर पटकथा, भव्य विदेशी सैर सपाटा, कर्णप्रिय और ताजगी भरा गीत-संगीत, चुस्त निर्देशन और शानदार-जानदार अभिनय। फिर क्या हुआ कि दर्शक बड़ी संख्या में फिल्म देखने नहीं पहुंचे। वही जिसके लिए फिल्म समीक्षक बरसों से सिर पीट रहे हैं। एक अच्छी सी दिल को छूने वाली विश्वसनीय कहानी। धर्मा प्रोडक्शन से निकली नयी फिल्म ‘एक मैं और एक तू’ की सबसे बड़ी कमी यही है कि निर्देशक ने टार्गेट दर्शक यानी युवाओं पर तो फोकस किया मगर कहानी ऐसी चुनी जिसे भारतीय युवक अपनी कहानी नहीं मान सकते। युवा फ्रस्ट्रेशन और प्रॉब्लम को यह फिल्म जितनी ताकत और रोचकता से लगभग अंत में रेखांकित करती है वह काबिले तारीफ है, मगर इमरान एक पार्टी में अपने मां-बाप के सामने अपनी दबी-कुचली इच्छाओं को लेकर जो गुस्सैल विस्फोट करता है उसकी प्रक्रिया अथवा यात्रा अनुपस्थित है। करीना कपूर और इमरान खान जैसे जन्मजात कलाकार इस फिल्म को बहुत ऊंचाई पर ले जा सकते थे, अगर निर्देशक-लेखक शकुन बत्तरा ने कहानी को थोड़ा रियल स्पर्श देने का प्रयत्न किया होता। माना कि दो रईस मां-बाप की संतानें करीना कपूर और इमरान खान विदेश में बेरोजगार होने के बावजूद बढ़िया शराब पी रहे हैं, अच्छा खाना खा रहे हैं, होटलों में नाच-गा रहे हैं, मेले-तमाशों का मजा लूट रहे हैं और कार से चलकर संघर्ष कर रहे हैं, क्योंकि वे रईसों की संतानें हैं। माना कि लॉस वेगास के मैरिज चैपल में किसी भी वक्त, किसी भी हालत में शादी हो जाती है। इसलिए नशे में टल्ली होकर करीना-इमरान भी आधी रात को मैरिज कर लेते हैं। सुबह होश में आने पर दोनों इस लीगल शादी से बंधन मुक्त होने के लिए कोर्ट में अर्जी भी देते हैं जिस पर दर्शक ‘एप्रूव्ड’ की स्टैम्प भी लगता देखते हैं। लेकिन बाद में इमरान को लगता है कि उसे करीना से प्यार हो गया है जबकि करीना उसे समझाती है कि वह दोस्ती को प्यार समझ रहा है। दोनों बोर लाइफ से ‘ब्रेक’ लेने के लिए इंडिया जाते हैं, जहां जिंदगी भर अपने मां-बाप के निर्देशों तले जीने वाला इमरान अपनी खुद की चाहतों का विस्फोट करता है और मां-बाप को हतप्रभ छोड़ वापस लॉस वेगास लौट जाता है। इस बार उसके पास नौकरी भी है। फिल्म इस ‘नोट’ पर खत्म होती है कि इमरान करीना को फिर से शादी करने के लिए राजी करने का प्रयास करता रहेगा। यह इंडियन रियलिटी नहीं है भाई। मुंबई दिल्ली में भी युवाओं की रिलेशनशिप ऐसी नहीं है। हां लॉजिक से कोई लेना-देना नहीं है तो फिल्म देख लें।
निर्देशक: शकुन बत्तरा
कलाकार: इमरान खान, करीना कपूर, राम कपूर, बोमन ईरानी, रत्ना पाठक, सोनिया मेहरा
संगीत: अमित त्रिवेदी
Thursday, February 16, 2012
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