Saturday, June 23, 2012

डेंजरस गैंग्स ऑफ वासेपुर


फिल्म समीक्षा

डेंजरस गैंग्स ऑफ वासेपुर

धीरेन्द्र अस्थाना

यह अनुराग कश्यप की फिल्म है। इसे एक और गैंगस्टर फिल्म कहकर उड़ाया नहीं जा सकता। यह एक तेज गति वाली, घटनाओं से लबरेज, डेंजरस लेकिन कूल-कूल लहजे में बयान की गयी विराट कथा है। इसे इतने शानदार और सहज-सरल ढंग से बुना गया है कि कहीं कुछ उलझा नजर नहीं आता। यह अनुराग कश्यप की ‘नो स्मोकिंग’ फिल्म के एकदम उलट, पारदर्शी और स्पीडी फिल्म है। ‘नो स्मोकिंग’ एक प्रतीकात्मक और बौद्धिक फिल्म थी तो ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ कॉमन मैन की फिल्म है, जिसे कॉमन मैन के स्तर पर उतरकर बनाया भी गया है। इसका काल बहुत लंबा है। गुलाम भारत से आज तक के समय में आता हुआ। पीढ़ी दर पीढ़ी रंजिश की आंच में सुलगता-पकता वासेपुर और वासेपुर के गली कूचों में आबाद-बरबाद होती जवानियां। इस फिल्म की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि पात्रों का लगभग एक बड़ा सा मेला जुटाने के बावजूद अनुराग ने किसी भी किरदार को ‘खोने’ नहीं दिया है। उन्होंने छोटे से छोटे चरित्र को न केवल पूरा ‘स्पेस’ दिया है बल्कि प्रत्येक पात्र को परिभाषित भी किया है। इस फिल्म में एक भी घटना अतार्किक और फालतू नहीं है, इसीलिए लंबी होने के बावजूद फिल्म बांधे रखती है। सरदार खान के रूप में मनोज बाजपेयी को तो मानो पुनर्जन्म ही मिल गया है। फिल्म ‘सत्या’ के बाद शायद अब जाकर मनोज की प्रतिभा का विस्फोट हुआ है। उनके विलक्षण अभिनय के लिए यह फिल्म सिनेमा के इतिहास में दर्ज हो सकती है। तिग्मांशु धूलिया एक बेहतरीन निर्देशक हैं लेकिन इस फिल्म में अपने उम्दा और प्रभावी अभिनय से चौंका देते हैं। इसी तरह पीयूष मिश्रा मूलतः गीतकार हैं लेकिन वह भी कमाल की एक्टिंग करते हैं। फिल्म में हालांकि पारंपरिक रूप से कोई हीरोईन नहीं है लेकिन फिल्म में जो दो लड़कियां मनोज की पत्नियां बनी हैं, उन्होंने अपने अभिनय से आश्वस्त किया है। गुंडागर्दी, रंगदारी, रंजिश, मारामारी का परिवेश है तो गालियां स्वभावतः बेहद और बेधड़क हैं। एक दोस्त ने पूछा है-इस फिल्म का मकसद क्या है? जवाब फिल्म की तरह सहज है-जिंदगी की जंग में जिंदा रहने से बड़ा मकसद क्या होता है? फिल्म का दूसरा भाग अभी आना बाकी है। रंजिश जारी है। फिल्म का गीत-संगीत उसकी जान है। अवश्य देखें। 

निर्देशक: अनुराग कश्यप
कलाकार: मनोज बाजपेयी, जलालुद्दीन, पीयूष मिश्रा, ऋचा चड्ढा, हुमा कुरैशी, रीमा सेन, तिग्मांशु धूलिया, यशपाल वर्मा
संगीत: स्नेहा खानवलकर

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