Saturday, June 2, 2012

राउडी राठौर


फिल्म समीक्षा 

कमाई की ख्वाहिश में ’राउडी राठौर‘

धीरेन्द्र अस्थाना

अफसोस कि कमाई भी वैसी नहीं होगी जैसी ’दबंग‘ या ’सिंघम‘ या ’वांटेड‘ या फिर ’गजनी‘ की हुई थी। बाजार की बिसात पर ’गुजारिश‘, ’ब्लैक‘ और सांवरिया‘ जैसी कालजयी फिल्में बनाने वाला एक और ’सिने योद्धा‘ पराजित हुआ। जो सिनेमा की आस हैं, जो भविष्य के सिनेमाई पाठ हैं, जो सिनेमा के शूरवीर हैं, उनमें से एक चमकते हुए नक्षत्र को आखिरकार बाजार ने लील ही तो लिया। सार्थक और बाजारू सिनेमा के रणक्षेत्र में संजयलीला भंसाली जैसा गर्वीला फिल्मकार न सिर्फ पराजित हुआ बल्कि बाजारू सिनेमा के पैरोकार के रूप में खुद को जस्टिफाई करता भी दिखा। ’गुजारिश‘ गुजर बसर के लिए नहीं थी। ’राउडी राठौर‘ गुजारे भत्ते के लिए मानी जा सकती है क्योंकि धुआंधार कमाई तो यह भी नहीं करने वाली है। एक्शन केंद्रित मसाला फिल्म है, जो सलमान खान की हिट फिल्मों के पास भी नहीं फटकती। असल में बाजारू फिल्में बनाना भी सबके बस की बात नहीं है। एक्शन हो, कॉमेडी हो या इमोशन, मूल बात है कि आपके पास कहने के लिए कोई ठीकठाक विश्वसनीय कहानी है या नहीं। ’राउठी राठौर‘ की समस्या यह है कि यहां मारधाड़ तो बड़ी भारी है लेकिन कहानी एकदम कमजोर और ओवर एक्सपोज्ड है। गांव पर गुंडे का एक छत्र दमन, हीरो का अवतार की शक्ल में प्रकट होना और अपने पराक्रम से सब कुछ दुरुस्त कर देना। इसी के बीच में नाच-गाना-आइटम और थोड़ा सा इमोशन। बाजार के नये पैरोकार संजयलीला भंसाली जरा आत्ममंथन करें कि ’राउडी राठौर‘ और ’सिंघम‘ या ’दबंग‘ या ’गजनी‘ में क्या-क्या मूलभूत फर्क है। कमर्शियल फिल्म बनाने के इरादे भर से काम नहीं चलेगा। कमर्शियल फिल्म बनाने की कला भी सीखनी पड़ेगी। राउडी तक आते-आते सोनाक्षी सिन्हा काफी बिंदास हो गयी हैं लेकिन ’दबंग‘ के थप्पड़ वाला जैसा एक भी डायलॉग यहां उन्हें नसीब नहीं हुआ। जैसा कि कमर्शियल एक्शन फिल्मों में होता है। सोनाक्षी सिन्हा भी एक ’फिलर‘ की तरह इस्तेमाल हुई हैं। उनका अपना न कोई वजूद है, न करिश्मा। पूरी फिल्म अक्षय कुमार की है, जो डबल रोल वाली पुरानी कहानी के जरिए फिल्म को पार लगाने का प्रयत्न करते नजर आते हैं। फिल्म के तथाकथित गुंडे किरदार जरूर दिलचस्प बन पड़े है। एक-दो गाने पहले ही हिट हो चुके हैं। 

निर्माता :  संजय लीला भंसाली
निर्देशन : प्रभु देवा
कलाकार : अक्षय कुमार, सोनाक्षी सिन्हा
संगीत : साजिद-वाजिद

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