Saturday, May 5, 2012

जन्नत-दो


फिल्म समीक्षा 

‘जन्नत-दो’ में बड़ा अंधेरा

धीरेन्द्र अस्थाना

स्त्री पुरुष संबंधों की पेचीदगी, प्यार, नफरत और स्वर्ग-नरक पर तो बहुत सारी फिल्में बनी हैं और आगे भी बनती रहेंगी। लेकिन भट्ट कैंप की हिट फिल्म ‘जन्नत’ की सीक्वेल ‘जन्नत-दो’ ने रिश्तों की जो राह पकड़ी है, वह हिंदी सिनेमा में शायद एक नयी इबारत है। परिवेश दिल्ली का है, चरित्र और लैंग्वेज दिल्ली-यूपी के हैं। हथियारों के निर्माता पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट बहुल इलाके से हैं। इन हथियारों की गैर कानूनी डिमांड और सप्लाई के तंत्र में इमरान हाशमी एक छोटा सा मोहरा है जो दिल्ली की सड़कों का मुंबइया टपोरी जैसा है। घर से बगावत करके दिल्ली आयी एक डॉक्टरनी जाह्नवी (ईशा गुप्ता) से इमरान हाशमी को मोहब्बत हो गयी। इस मोहब्बत को अर्थ और भाषा देने वाले जो गाने ‘जन्नत-दो’ में फिल्माये गये हैं, वे जन्नत की जान हैं। फिल्म की दूसरी यूएसपी उसके संवाद हैं, जिनके जरिए संजय मासूम ने न सिर्फ एक संस्कृति और माहौल को खड़ा किया है, बल्कि अलग-अलग चरित्रों को अलग-अलग परिभाषित भी किया है। लेकिन फिल्म की सबसे बड़ी और नयी विशेषता कुछ और है। यह है एसीपी प्रताप रघुवंशी (रणदीप हूडा) और सोनू दिल्ली उर्फ कुत्ती कमीनी चीज (इमरान हाशमी) के आपसी रिश्तों का द्वंद्व, पेंच और कमीनापन। इस कमीनेपन में भी लेकिन मोहब्बत की एक सतत मौजूद ऊष्मा है, जिससे इन दोनों मुख्य पात्रों की यात्रा को गति और गर्माहट मिलती है। रणदीप हूडा येन केन प्रकारेण इमरान हाशमी को अपने खबरी के तौर पर इस्तेमाल करता है। मगर यह भी ध्यान रखता है कि उस पर कोई आंच न आने पाये। कह सकते हैं कि हिंदी सिनेमा में पहली बार एक पुलिस अधिकारी और उसके खबरी के आपसी मानवीय रिश्तों की आंच पर कोई कथानक पकाया गया है। फिल्म में कई एंटी क्लाइमेक्स भी हैं जो उत्सुकता बनाये रखते हैं। रोचकता के बावजूद फिल्म लंबी हो गयी है। संपादन से थोड़ी और कसावट लाते तो बेहतर होता। ईशा गुप्ता के मन में इमरान हाशमी की इच्छा से उसकी एक बुरी छवि स्थापित की गयी है ताकि वह यादों के बोझ से मर न जाए। फिल्म का यह अंत दुखद लेकिन रचनात्मक है जो आशिक के प्रेम की गहराई को एक नयी ऊंचाई देता है। इस फिल्म को अंडरवर्ल्ड की एक और कहानी वाले नजरिये से न देखें। यह रिश्तों के एक नये अध्याय की पड़ताल और परिभाषा है। मुख्य पात्रों के अलावा बल्ली का चरित्र सहज और प्रभावी लगता है। ईशा गुप्ता को अभी बहुत सीखना है।

प्रोड्यूसर: महेश भट्ट
कलाकार: इमरान हाशमी, रणदीप हूडा, ईशा गुप्ता, आरिफ जकरिया, मनीष चौधरी
गीत: संजय मासूम, मयूर पुरी, सईद कादरी
संगीत: प्रीतम चक्रवर्ती

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