Monday, April 23, 2012

विकी डोनर


फिल्म समीक्षा

जीवन से लबरेज ‘विकी डोनर’

धीरेन्द्र अस्थाना

यह तो अजब-गजब कमाल हो गया। सोचा था, गुमनाम कलाकारों की चालू सी कॉमेडी फिल्म होगी जिसे पूरे एक सौ बाइस मिनट झेलना होगा। लेकिन यह तो ‘तनु वेड्स मनु’ या ‘तेरे बिन लादेन’ या ‘बैंड बाजा बारात’ की तर्ज पर छोटी दुकान का ऊंचा पकवान निकली। अगर इसे इस वर्ष की अब तक की सबसे बेमिसाल फिल्म कहा जाए तो भी ज्यादा नहीं होगा। शूजीत सरकार के निर्देशन ने इस छोटे बजट वाली नये कलाकारों की फिल्म को लगभग सिनेमाई पाठ में ही बदल दिया। एक बंगाली निर्देशक ने पंजाबी भाषा, बोली, खान-पान, रहन-सहन, संस्कृति, रोजगार, परिवेश यानी समूचा लाइफ स्टाइल ही जिस जिंदादिल, वास्तविक और रोचक अंदाज में पेश किया है उसके सामने बड़े-बड़े पंजाबी फिल्मी घराने बहुत कम लगते हैं। ‘स्पर्म डोनेशन’ जैसे अछूते विषय पर बनने वाली यह शायद हिंदी की पहली फिल्म भी है। निःसंतान माता-पिता की जिंदगी में औलाद का चिराग रोशन करने जैसी गंभीर कहानी को निर्देशक ने इतने हल्के-फुल्के, गुदगुदाते अंदाज में पेश किया है कि पूरी फिल्म एक प्यारा सा, सुख देने वाला अनुभव ही बन जाती है। इंटरवल तक तो अगल-बगल, आगे- पीछे की सभी कुर्सियों से युवा लड़के लड़कियों की बेलौस खिलखिलाहट ही सुनाई पड़ती रहती है। जिंदगी से लबरेज और मस्ती से लबालब फिल्म है ‘विकी डोनर।’ पैसे कमाने के लिए स्पर्म डोनेट करने का धंधा करने वाला एक नासमझ, बेकार युवक कैसे एक बड़े संसार को बेहिसाब खुशियां सौंपने का माध्यम बन जाता है, इसे निर्देशक ने 53 बच्चों और उनके मां-बाप को एक साथ एक दृश्य में उतार कर साकार किया है। ये सभी बच्चे विकी के स्पर्म से जन्मे हैं। त्रासदी यह है कि खुद इसी विकी की पत्नी मां नहीं बन पाती है। इसके बाद का रोचक हिस्सा जानने के लिए स्वयं यह फिल्म देखें। जहां तक अभिनय का मामला है तो डॉ. चड्ढा बने अन्नू कपूर की अपने जीवन की सबसे महत्वपूर्ण फिल्म यह बन गयी। दोनों युवा सितारों आयुष्मान खुराना और यमी गौतम ने संकेत दे दिया है कि वे बहुत दूर जाने वाले हैं। कहानी, निर्देशन, संगीत, संवाद, अभिनय हर स्तर पर ‘विकी डोनर’ एक जानदार-शानदार फिल्म है।

निर्देशक: शूजीत सरकार
कलाकार: आयुष्मान खुराना, यमी गौतम, अन्नू कपूर
संगीत: विश्वदीप चटर्जी

राष्ट्रीय सहारा 22 अप्रैल 2012

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