Saturday, January 28, 2012

अग्निपथ

फिल्म समीक्षा

यह नये समय का ‘अग्निपथ‘

धीरेन्द्र अस्थाना

अमिताभ बच्चन वाली कामयाब फिल्म ‘अग्निपथ‘ का रीमेक बनाया है तो पुरानी फिल्म से तुलना का अभिशाप झेलना ही होगा। यह निर्देशक करन मल्होत्रा का नये समय में खड़ा ‘अग्निपथ‘ जरूर है लेकिन थोड़े हेर-फेर के बाद फिल्म की मूल कहानी वही है। पुरानी ‘अग्निपथ‘ में सब कुछ संतुलित और विश्वसनीय था। हालांकि वह फिल्म भी लार्जर देन लाइफ वाले फॉर्मूले के हिसाब से ही बनायी गयी थी। लेकिन नयी ‘अग्निपथ‘ में कुछ चरित्र और घटनाएं अविश्वसनीय हो गयी हैं। करन मल्होत्रा की पटकथा भी थोड़ी असंतुलित और लंबी हो गयी है। जब चरित्र नये हैं और नये समय की ‘अग्निपथ‘ है तो बेहतर होता कि नये ढंग से नयी कहानी के साथ फिल्म बनायी जाती। इस बार विजय दीनानाथ चौहान के रूप में रितिक रोशन हैं तो कांचा के रूप में संजय दत्त। रितिक की प्रेमिका बनी हैं प्रियंका चोपड़ा तो पुलिस अधिकारी का किरदार निभाया है ओम पुरी ने। मुंबई के माफिया डॉन रऊफ लाला का चरित्र ऋषि कपूर ने निभाया है। यह नयी ‘अग्निपथ‘ का नया चरित्र है। सब के सब महारथी हैं और सब ने लाजवाब अभिनय किया है। लेकिन कोई यह तो बताए कि मुंबई में कम उम्र लड़कियों की सार्वजनिक नीलामी वाला वैसा बाजार कब और कहां लगता था जैसा ‘अग्निपथ‘ में ऋषि कपूर लगाते हैं। कहानी को अतिरिक्त रोचकता देने के लिए जोड़ा गया यह दृश्य फिल्म में कृत्रिमता पैदा करता है। इसकी कोई जरूरत नहीं थी। जिस कांचा के साम्राज्य मांडवा में पुलिस दल जाने से घबराता है वहां रितिक रोशन अकेला पहुंच जाता है और कांचा की सुरक्षा व्यवस्था को धता बताते हुए बहुत सारे बमों से उसके तमाम ऊंचे-ऊंचे टावर उड़ा देता है। जिस रितिक रोशन के हाथों संजय दत्त को मरना है वह संजय दत्त न सिर्फ रितिक को मार-मार के अधमरा कर देता है बल्कि चार बार एक लंबा खंजर रितिक के पेट के आर-पार कर देता है। जिस बरगद के पेड़ पर रितिक के पिता को कांचा ने लटका कर मारा था वहां पहुंच कर मरणासन्न रितिक में फिर एक नकली जोश पैदा होता है और वह भारी पत्थर से संजय दत्त को घायल कर उसे उसी पेड़ पर लटका कर मार डालता है। फिर वह खुद भी मर जाता है। इससे पहले शादी के पहले दिन उसकी प्रेमिका प्रियंका चोपड़ा भी मारी जाती है। बहुत दिनों बाद कोई ऐसी फिल्म देखी जिसके सारे प्रमुख चरित्र अंत में मर जाते हैं। पता नहीं दर्शक इस फिल्म को आने वाले समय में कितना पचाएंगे? मगर पहले दिन तो सिनेमाई भाषा में टिकट विंडो टूट गईं। फिल्म की सबसे खतरनाक धड़कन कैटरीना कैफ का आइटम सॉन्ग है जिसने ‘जुलुम‘ ढा दिया।

निर्देशक: करन मल्होत्रा
कलाकार: रितिक रोशन, संजय दत्त, प्रियंका चोपड़ा, ऋषि कपूर, ओम पुरी, कैटरीना कैफ।
संगीत: अजय अतुल गोगावले
गीत: अमिताभ भट्टाचार्य

1 comment:

  1. badhia dhirendra ji. bahut dino baad apki sameeksha padhi aur sachmuch maza aa gaya. film chahe jaisi ho, sameeksha to lajawaab hai. dhanyavaad.

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