Tuesday, December 13, 2011

लेडीज वर्सेस रिकी बहल

फिल्म समीक्षा

साधारण है ‘लेडीज वर्सेस रिकी बहल’

धीरेन्द्र अस्थाना

निर्देशक वही, कलाकार वही और संगीतकार भी वही। फिर भी ‘लेडीज वर्सेस रिकी बहल’ वह करिश्मा नहीं कर सकी, जो यशराज बैनर की पिछले साल की हिट फिल्म ‘बैंड बाजा बारात’ ने किया था। केवल दिल्ली का परिवेश रखने और पंजाबी स्टाइल में डायलॉग बुलवा देने से कोई फिल्म दिलचस्प नहीं हो जाती। अच्छी फिल्म बनाने के लिए एक अच्छी कहानी का प्रभावशाली फिल्मांकन तो जरूरी है ही, चरित्रों का जीवंत और सहज होना भी अनिवार्य है। ‘लेडीज वर्सेस रिकी बहल’ की कहानी तो साधारण है ही, उसे फिल्माया भी किसी डॉक्यूमेंट्री की तरह गया है। अनुष्का शर्मा और रणवीर सिंह की जोड़ी ने ‘बैंड बाजा बारात’ में जो उम्मीद जगायी थी, उसे उन्होंने इस फिल्म में खुद ही तोड़ दिया। निर्देशक मनीष शर्मा इस बार इस जोड़ी से कुछ निकलवा नहीं पाये। निकलवाते भी कैसे? कहानी में कोई बात होती तब न, कोई करिश्मा किया जाता! रणवीर ंिसंह एक ठग हैं, जो लड़कियों को अपने जाल में फंसाकर उनके पैसे लूट लेता है। एक शहर की लड़की को बेवकूफ बनाकर वह दूसरे शहर की राह पकड़ लेता है। छोटे से जीवन में वह कुल 30 लड़कियों को ठग लेता है। प्रतिनिधि के रूप में कुल तीन लड़कियों को फिल्म में उसका शिकार दिखाया गया है। ये हैं मुंबई की दीपानिता शर्मा, लखनऊ की अदिति शर्मा ओैर दिल्ली की परिणति चोपड़ा। ठगे जाने के बाद तीनों एकजुट होती हैं और एक चतुर सेल्स गर्ल अनुष्का शर्मा को अपने साथ मिला गोवा पहुंचती हैं, जो रणवीर सिंह का नया ठिकाना है। नयी शिकार अनुष्का को ठगने की इस प्रक्रिया के दौरान रणवीर सिंह खुद शिकार बन जाता है। एक प्रसंग के दौरान वह जान जाता है कि उसे ठगा जा रहा है, लेकिन इस सच को जान लेने के बाद भी वह अपने पांव पीछे नहीं खींचता, क्योंकि तब तक उसे अनुष्का से सचमुच का प्यार हो जाता है। वह तीनों लड़कियों को उनका कुल एक करोड़ रुपया वापस लौटा देता है और अनुष्का से लाइफ का रियल पार्टनर बनने की गुजारिश करता है। हैप्पी एंड। ठगी का धंधा बड़ा हैरतअंगेज होता है। उसके लिए जबर्दस्त प्रतिभा चाहिए। रणवीर में इस प्रतिभा का अभाव दिखता है। अनुष्का इतनी जल्दी खुद को रिपीट करने लगेगी सोचा न था।

निर्देशक: मनीष शर्मा
कलाकार: रणवीर सिंह, अनुष्का शर्मा, परिणति, दीपानिता और अदिति।
संगीत: संगीतः सलीम सुलेमान

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