Saturday, January 2, 2010

रात गयी बात गयी

फिल्म समीक्षा

यह बात है एक नशीली रात की

धीरेन्द्र अस्थाना

एक जमाने के विख्यात अंग्रेजी पत्रकार-संपादक प्रीतिश नंदी के बैनर तले बनी फिल्म है ‘रात गयी बात गयी‘। ‘भेजा फ्राई‘ जैसी छोटे बजट की कामयाब टीम फिल्म से जुड़ी है। तो यह कैसे मान लेते कि फिल्म खराब होगी। और फिल्म खराब है भी नहीं। लेकिन यह कैसा विचार-विमर्श से भारी सिनेमा हिंदी के दर्शकों को परोस रहे हैं कुछ लोग। ‘रात गयी बात गयी‘ कहने के लिए हिंदी फिल्म है लेकिन यह उस युवा पीढ़ी को ध्यान में रख कर बनायी गयी है जो दिल्ली-मुंबई के काॅल सेंटरों में मर-खप रही है। ‘वन नाइट स्टैंड‘ का कल्चर काॅल सेंटरों से ही निकला है। इसका मतलब है एक रात में दो लोगों के बीच जो रिश्ता बना वो किसी ‘कमिटमेंट‘ की, किसी दायित्व की, किसी अपराधबोध की फिक्र नहीं करता। एक नशीली रात में मोमबत्ती की लौ की तरह भक्क से बुझ जाने वाले इस संबंध की तो छोटे शहर के युवा कल्पना भी नहीं कर सकते। स्त्री-पुरुष के ऐसे युवा तथा आधुनिक विमर्श वाली फिल्म देखने के लिए महानगरों के अलावा बाकी शहरों के दर्शक जुटेंगे, लगता तो नहीं है। सिर के ऊपर से गुजर जाने वाली एक व्यर्थ किस्म की जिरह को महानगरों के युवा दर्शक भी शायद ही पसंद करेंगे। एक ऐसे समय में जब पूरे देश में आमिर खान की ‘थ्री ईडियट्स‘ की आंधी चल रही है, ‘रात गयी बात गयी‘ को दर्शक नसीब होंगे, इसमें शक है।

फिल्म के निर्देशक सौरभ शुक्ला हैं। उन्होंने फिल्म को थियेटर स्टाइल में बना दिया है। थियेटर भी कैसा? स्वांतः सुखाय लेखन जैसा। कुछ बुद्धिजीवियों की पार्टी चल रही है। वहां सब एक दूसरे से ‘फ्लर्ट‘ करने में मशगूल हैं। आठ पैग शराब पी लेने के बाद रजत कपूर ने बोल्ड नेहा धूपिया के साथ क्या किया, उसे कुछ याद नहीं। यही फिल्म का रहस्य है। इसी रहस्य में से कुछ ‘एडल्ट‘ संवादों के जरिए थोड़ा सा हास्य जुटाने की कोशिश भी की गयी है। प्रिंट मीडिया अभी इतना बिंदास नहीं हुआ है कि वैसे संवाद लिखे जाएं। बीच में नेहा धूपिया ने कुछ सार्थक फिल्में पकड़ी थीं जिनके लिए उनकी तारीफ भी हुई। लगता है वह फिर से अपनी पुरानी बोल्ड छवि के करीब जा रही हैं। फिल्म के तमाम कलाकार मंजे हुए हैं। सबका अभिनय उम्दा है। लेकिन यह उम्दा अभिनय आम दर्शक तक कैसे पहुंचेगा। पाठक से मुंह मोड़ कर कहानी लिखी जा सकती है लेकिन दर्शक से मुंह मोड़ कर सिनेमा बनाना भारी पड़ सकता है!

निर्माता: प्रीतिश नंदी कम्युनिकेशंस
निर्देशक: सौरभ शुक्ला
कलाकार: रजत कपूर, विनय पाठक, नेहा धूपिया, दिलीप ताहिल, नवनीत निशान, इरावती हर्षे।
संगीतकार: अंकुर तिवारी

No comments:

Post a Comment