Saturday, November 14, 2009

तुम मिले

फिल्म समीक्षा

अर्थपूर्ण और तार्किक ‘तुम मिले‘

धीरेन्द्र अस्थाना

महेश भट्ट कैंप से निकली फिल्म के बारे में इतना तो तय रहता है कि वह अर्थहीन और बेहूदी नहीं होगी। भट्ट कैंप का फंडा है छोटा बजट, छोटी स्टार कास्ट लेकिन एक प्रभावित करने वाली हृदयस्पर्शी कहानी। उनकी फिल्में सुपर डुपर हिट नहीं कहलातीं लेकिन अपनी कीमत निकाल लेती हैं। इमरान हाशमी भट्ट कैंप के लगभग स्थायी हीरो हैं और युवा वर्ग में उन्हें पसंद भी किया जाता है। सोहा अली खान भी इस बीच नयी पीढ़ी के बीच स्वीकृत हुई हैं और वह फिल्म दर फिल्म अपने अभिनय में निखार ला रही हैं। यही वजह है कि युवा पीढ़ी का काफी बड़ा तबका ‘तुम मिले‘ देखने पहुंचा। 26 जुलाई 2005 की ऐतिहासिक मुंबई की बाढ़ के बैकड्रॉप पर एक युवा प्रेम कहानी खड़ी की गयी है। इस बाढ़ को भी बड़े पर्दे पर देखने का रोमांच दर्शकों को खींच लाया।

प्रेम कहानी में कुछ भी नयापन नहीं है। सोहा अली खान एक अमीर पिता की आत्मनिर्भर कामकाजी युवती है। इमरान हाशमी एक स्वाभिमानी लेकिन स्ट्रगलर आर्टिस्ट है जो बाजार में बिकने के लिए नहीं बना है। अपने स्वभाव के कारण कला के बाजार में वह ठुकराया जाता है जिससे उसके भीतर कुंठाओं का अंधेरा सघन होता जाता है। इस बीच मनमौजी और फक्कड़ इमरान को सोहा दिल दे चुकी है। दोनों लिव इन रिलेशनशिप के तहत एक साथ रहते हैं। इमरान के जीवन में पसरी आर्थिक तंगी उसे बेचैन बनाती है। वह चिड़चिड़ा, एकाकी और उग्र होने लगता है। दोनों के बीच का प्यार सूखने लगता है। तकरार बढ़ने लगती है। एक दूसरे पर दोषारोपण का दौर शुरू हो जाता है। एक ऐसे ही मोड़ पर इमरान को सिडनी में एक बड़े बजट की फिल्म में क्रिएटिव आर्टिस्ट का जॉब मिलता है। सोहा अपनी नौकरी, अपने रिश्ते छोड़ कर उसके साथ जाने से मना कर देती है।

26 जुलाई 2005 को दोनों एक ही जहाज से मुंबई आये हैं जहां भारी बरसात हो रही है। दोनों अपने अपने रास्ते चले जाते हैं लेकिन भारी बारिश, जाम और तूफान दोनों को फिर से एक बस में मिला देता है। फिल्म ‘टाइटनिक‘ से भी एक दृश्य का आइडिया लिया गया है। पूरी कहानी फ्लैश बैक में घटित होती रहती है। अंत में दोनों को अपनी अपनी गलती का अहसास होता है और फिल्म का सुखी अंत हो जाता है। इस फिल्म की खूबी इसका सधा हुआ निर्माण है। प्रीतम चक्रवर्ती के संगीत निर्देशन में सईद कादरी और कुमार के गीतों को पांच गायकों ने बेहतरीन ढंग से पेश किया है। फिल्म को एक बार देखना चाहिए।

निर्माता: मुकेश भट्ट
निर्देशक: कुणाल देशमुख
कलाकार: इमरान हाशमी, सोहा अली खान
संगीत: प्रीतम चक्रवर्ती

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