Saturday, November 7, 2009

अजब प्रेम की गजब कहानी

फिल्म समीक्षा

हल्की फुल्की अजब प्रेम की गजब कहानी

धीरेन्द्र अस्थाना

कॉमेडी का दौर है इसलिए राजकुमार संतोषी ने भी हाथ आजमा लिया। कुछ हद तक वह सफल भी हुए हैं। ‘अजब प्रेम की गजब कहानी‘ एक रोमांटिक कॉमेडी है जिसकी सबसे बड़ी उपलब्धि है रणबीर कपूर और कैटरीना कैफ की जोड़ी। पहली बार कैटरीना कैफ को अपना हमउम्र को-स्टार मिला है। दोनों की केमेस्ट्री ने पर्दे पर एक उन्मुक्त और जीवंत उल्लास रचा है। यह जोड़ी भाती है, लुभाती भी है। रणबीर साबित करते हैं कि अभिनय उनके रक्त में रचा-बसा है। कैटरीना भी लगातार मंज रही हैं। विदेश से आकर पहले बॉलीवुड में रिजेक्ट होना फिर उसी बॉलीवुड पर राज करना सिर्फ भाग्य का खेल नहीं है। इसके पीछे कैटरीना की प्रतिभा और परिश्रम भी है। कुल मिला कर यह एक हल्की फुल्की, टाइमपास फिल्म है जिसे कम से कम एक बार देखा जा सकता है - हंसते हंसाने और खिलखिलाने के लिए।

लेकिन... और यह लेकिन थोड़ा वजनदार है। हिंदी सिनेमा में राजकुमार संतोषी टाइमपास फिल्मों के लिए नहीं जाने जाते। मुख्यधारा का सिनेमा बनाने के बावजूद वह कुछ न कुछ संदेश देते भी नजर आते हैं। उनकी दूसरी विशेषता यह है कि वह तर्कपूर्ण फिल्में बनाते हैं। ‘अजब प्रेम की गजब कहानी‘ की सबसे बड़ी कमी यही है कि इसमें तर्क सिरे से गैरहाजिर हैं। यह एक ऐसी फंतासी है जिसमें सब कुछ अतार्किक है।

फिल्म की दूसरी खामी यह है कि इंटरवल तक बांध कर रखने वाली एक मनोरंजक फिल्म इंटरवल के बाद पूरी तरह बिखर जाती है। एक अच्छी भली, युवा दिलों के मासूम रोमांस की ताजगी भरी कहानी काॅमेडी के चक्कर में कई जगह कबाड़ बन गयी है। डॉन वाला पूरा प्रकरण अर्थहीन, बोझिल और अनावश्यक है। इस प्रसंग ने फिल्म को गति देने के बजाय उसे लड़खड़ा दिया। कैटरीना द्वारा उपेन पटेल को प्रेम करने वाली उप कथा भी ठूंसी हुई और बेदम लगती है। फिल्म को नया मोड़ देने की चाह ने उसे पटरी से ही उतार देने का काम कर दिया है। इन दो प्रसंगों के कारण फिल्म थोड़ी लंबी भी हो गयी है। जरा इन दोनों उपकथाओं को माइनस कीजिए। ‘अजब प्रेम की गजब कहानी‘ ज्यादा मनभावन लगेगी। सिर्फ भावाभिव्यक्ति और प्रेम के कुछ ताजे क्षण जुटा दिए गए होते तो फिल्म को स्थायित्व मिल सकता था।

फिल्म का सबसे सशक्त पहलू है इसका गीत-संगीत। प्रीतम चक्रवर्ती ने इस फिल्म में अपनी आत्मा उंडेल दी है। इरशद कामिल, आशीष पंडित और हार्ड कोर के बेहतरीन शब्दों को प्रीतम के यादगार संगीत में के के, सुनिधि चैहान, मीका सिंह, कैलाश खेर समेत कुल पंद्रह गायकों ने अपनी आवाज देकर समां बांधा है।

निर्देशक: राजकुमार संतोषी
कलाकार: रणबीर कपूर, कैटरीना कैफ, उपेन पटेल, दर्शन जरीवाला, गोविंद नामदेव
संगीतकार: प्रीतम चक्रवर्ती

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