Wednesday, February 11, 2015

शमिताभ

फिल्म समीक्षा
अवाक कर देगी शमिताभ 
धीरेन्द्र अस्थाना
अभिनय के शहंशाह अमिताभ बच्चन का नया करिश्मा। निर्देशक आर. बाल्की की प्रतिभा का सिनेमाई विस्फोट। फिल्म शमिताभ मात्र एक फिल्म नहीं है वह सिनेमा के जादुई यथार्थवाद का एक नया पाठ है। वह निर्देशन का भी नया शिखर है जिसे अमिताभ के अभिनय ने चकाचौंध कर दिया है। सिनेमा के आम दर्शक फिल्म देखने नहीं भी आ सकते हैं पर ऐसा करके वह अपना ही नुकसान कर रहे होंगे। कम से कम बिग बी के नये अंदाज और कमाल के परफार्मेंस के लिए दर्शकों को यह फिल्म अवश्य देख लेनी चाहिए। इससे उन्हें पता चलेगा कि महानायक कोई यूं ही नहीं बन जाता। फिल्म पा के बाद निर्देशक बाल्की ने एक नया चमत्कार किया है। फिल्म के भीतर फिल्म की तकनीक पर खड़ी शमिताभ आपको अवाक कर देगी। दर्शक भले ही ज्यादा नहीं थे मगर पूरी फिल्म लगभग पिन ड्राप साइलेंस वाले वातावरण में देखी गयी। सभी की आंखें पर्दे पर गड़ी थीं। कोई दर्शक एक भी सीन छोड़ना नहीं चाहता था। बहुत जटिल फिल्म होने के बावजूद पूरी पटकथा कसी हुयी और तराशी हुयी बन पड़ी थी। उपर से धनुष और अक्षरा की युवा जोड़ी ने भी फिल्म को अपने अपने अंदाज से नयी उंचाई देने में कामयाबी पाई। अभिनय के बाद फिल्म की यूएसपी उसके संवाद हैं जो रोमांच से भर देते हैं। फिल्म की अनूठी कहानी कुछ इस प्रकार है। धनुष मुंबई से कुछ दूर इगतपुरी नामक कस्बे में रहने वाला एक गूंगा बच्चा है जिसे फिल्में देखने और एक्टर बनने का जुनून है। मां के मरने के बाद वह मुंबई चला आता है। जहां काफी संघर्ष के बाद एक प्रसिद्ध निर्देशक की सहायक अक्षरा की नजर उसकी प्रतिभा को पहचान लेती है। वह धनुष के कुछ एक्टिंग सीन शूट कर के उन्हें अपने निर्देशक को दिखा कर यह साबित करने में तो सफल हो जाती है कि धनुष की एक्टिंग में जान है। अब समस्या है आवाज की। धनुष तो गूंगा है। निर्देशक उसे फिनलैंड लेकर जाता है जहां आवाज के एक बड़े अस्पताल में धनुष के गले का ऑपरेशन होता है। इस की सफलता में एक समस्या यह है कि यंत्र की सहायता से धनुष वही बाल सकेगा जो कोई दूसरा आदमी उसके लिए बतौर प्रोक्सी बोलेगा। अब खोज होती है प्रभावशाली आवाज की। यह आवाज है अमिताभा बच्चन की जो चालीस साल पहले बॉलीवुड में एक्टर बनने आए थे लेकिन भारी आवाज के कारण ठूकरा दिए गये थे। एक प्रोफेशनल अनुबंध के बाद आवाज के लिए अमिताभ को तय किया जाता है और धनुष को नाम दिया जाता है शमिताभ। धनुष की पहली ही फिल्म अमिताभ की आवाज के कारण सुपरहिट हो जाती है और वह रातों रात सुपर स्टार बन जाता है। शराब में अपनी जिंदगी गर्क कर चुके असफल हीरो अमिताभ को जब पता चलता है कि हर जगह उन्हें धनुष के नौकर रॉबर्ट के रूप में पेश किया जा रहा है तो वे आहत हो जाते हैं। वे धनुष का काम छोड़ देते हैं। धनुष जमीन पर आ जाता है। अमिताभ की आवाज के बिना वाली उसकी जिद में बनी गूंगी फिल्म फ्लॉप हो जाती है। उसका ईगो धूल धूसरित हो जाता है। अक्षरा फिर से दोनों का मिलन कराती है। इसके बाद क्या होता है यह जानने के लिए फिल्म देखिए वर्ना उसका जादू धुंधला पड़ जाएगा। फिल्म में अमिताभ की आवाज में एक गाना भी फिल्माया गया है जिसकी परिकल्पना नयी है। एक बेहतरीन और कमाल की फिल्म।

निर्देशक : आर. बाल्की
कलाकार : अमिताभ बच्चन, धनुष, अक्षरा हसन
संगीत : इलियाराजा





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