Wednesday, November 26, 2014

हैप्पी एंडिंग

फिल्म समीक्षा

ट्रेजेडी में बदली हैप्पी एंडिंग 

धीरेन्द्र अस्थाना

युवा पीढ़ी के कौन से सच का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं हिंदी सिनेमा वाले। अपनी जान पहचान के पूरे देश में जो सैकड़ों हजारों युवक हैं उनमें से तो एक भी ऐसा नहीं मिला जो लड़की के साथ केवल मौज मजा करना चाहता है, मगर कमिटमेंट या जिम्मेदारी से बचता है। एकाध ऐसे परिचित जरूर हैं जिन्होंने अपनी मर्जी से विवाह किया मगर विवाह के एक दो साल बाद ही रिश्ता टूट गया। लेकिन एक दो केस के आधार पर इसे नियम नहीं बनाया जा सकता कि नयी पीढ़ी के लड़के आत्मकेंद्रित, सेल्फिश और जिम्मेदारी से भागने वाले होते हैं। मगर फिल्म हैप्पी एंडिंग का सच और सार यही है। शायद इसी कारण यंग जेनरेशन ने फिल्म को नकार दिया। यूं भी जिस थॉट को फिल्म में स्टैब्लिश किया गया है उसका प्रतिनिधित्व सैफ अली खान नहीं अली जाफर या अली फजल जैसे एकदम नये कलाकार कर सकते हैं। सैफ अली अब वरिष्ठों की कतार में आ गये हैं। बहरहाल, सैफ अली अमेरिका में बसे एक लेखक हैं जिनका इकलौता उपन्यास बेस्ट सेलर बन कर बाजार में छा गया था। वह लड़कियों के साथ रिश्ते तो बनाते हैं पर उन पर टिकते नहीं। अमेरिका में उनका एक मात्र दोस्त रणवीर शौरी है। धीरे धीरे सैफ के सारे पैसे खत्म हो जाते हैं। उन्हें नया उपन्यास लिखने की प्रेरणा नहीं मिलती। इसी बीच मार्केट में एक नयी लेखिका आंचल का सिक्का जम जाता है। यह आंचल यानी इलियाना सैफ अली का नया प्यार या कहें नया शिकार है। मगर इलियाना खुद भी सैफ टाइप की ही है यानी उसे भी प्यार व्यार में कोई यकीन नहीं है। अमेरिका में कुछ दिन सैफ के साथ बिता कर जब वह इंडिया लौट जाती है तो सैफ को एहसास होता है कि उसे जिंदगी में पहली बार प्यार हो गया है। इस बीच वह सिंगल स्क्रीन के सुपर स्टार गोविंदा के लिए एक फिल्म की पटकथा लिख रहा है जो खुद उसी के जीवन पर आधारित है लेकिन फिल्म का अंत नहीं सूझ रहा है। इस अंत की तलाश में वह भारत जाता है और इलियाना से मिलता है। वहां वह यह साबित करने में कामयाब हो जाता है कि वह बदल गया है, उसकी सोच बदल गयी है। और वह सचमुच इलियाना के प्यार में उतर गया है। दोनों मिल जाते हैं और सैफ को अपनी फिल्म की हैप्पी एंडिंग मिल जाती है। वह पटकथा पूरी करता है जो गोविंदा पर शूट होती है। फिल्म में छोड़ी गयी प्रेमिकाओं के रूप में प्रिति जिंटा, करीना कपूर और कल्की कोचलीन है। सैफ और इलियाना समेत सभी कलाकारों ने उम्दा अभिनय किया है मगर सुस्त पटकथा और अतार्किक कहानी के चलते फिल्म एक ट्रेजेडी में बदल गयी है। गोविंदा और सैफ के जरिये प्रोडयूसर की दबंगई और डायरेक्टर की बेचारगी को दिलचस्प अंदाज में पेश किय गया है। दरअसल यही फिल्म की यूएसपी भी है। किल दिल के बाद गोविंदा एक बार फिर नये अवतार में हैं। लगता है उनकी दूसरी पारी शानदार होने वाली है। संपूर्णता में नहीं टुकड़ों मे फिल्म दिलचस्प है।

निर्देशक : डीके-राज
कलाकारः सैफ अली खान, इलियाना डिक्रूज, गोविंदा, रणवीर शौरी, कल्की कोचलीन, प्रिति जिंटा, करीना कपूर
संगीत : सचिन जिगर




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