Monday, September 30, 2013

वार्निंग

फिल्म समीक्षा

रोमांच की पटकथा वार्निंग

धीरेन्द्र अस्थाना

बड़े प्रोड्यूसर द्वारा नये लोगों को लेकर बनायी गयी एक छोटी सी साफ सुथरी फिल्म है वार्निंगजिसमें रोमांच, डर और मौत की आहटों को कायदे से बुना गया है। फिल्म की जान उसकी पटकथा और मृत्यु की तरफ बढ़ती एक रोमांचक यात्रा है। जिसे डर के धागे गतिशील बनाये रखते हैं। मगर फिल्म का शीर्षक सटीक नहीं है क्योंकि फिल्म के किरदारों को कोई किसी किस्म की वार्निंग नहीं देता। यहां तो जीवन विरोधी स्थितियों में घिर गये कुछ किरदारों की जिजीविषा की रोमांचक पटकथा है। जिंदगी की जंग लड़ते इन चरित्रों की लाचारी, बेबसी और धुंधली पड़ती उम्मीदों के इस आख्यान को कोई और बेहतर नाम दिया जाता तो ज्यादा अच्छा होता। डिस्कवरी चैनल पर ऐसे कई प्रोग्राम दिखाए जाते हैं जो खराब और मर्मांतक हालात पर मनुष्य की इच्छा शक्ति और उसके साहस की कथा रचते हैं। इनमें कभी कोई निर्जन द्वीप में अकेला छूटता है, कभी बर्फीले टापू पर टनों बर्फ के नीचे दब जाता है, कभी शार्क मछलियों से भरे समुद्र में एक टूटी, फूटी नाव में निहत्था पड़ा रह जाता है। कास्ट अवेजैसी अनेक खूबसूरत विदेशी फिल्मों ने भी इस कथानक पर खुद को केंद्रित कर मर्मस्पर्शी और भावनात्मक क्षण जुटाए हैं। वार्निंगभी इसी विषय पर खुद को फोकस करती है और हॉलीवुड की फिल्म ओपन वाटर 2से प्रेरित है। फिजी में रहने वाला एक युवक अपने कॉलेज के दिनों के पांच दोस्तों को अपने महंगे यॉट (एक प्रकार का छोटा शिप) के जरिए समुद्री यात्रा का आनंद उठाने के लिए आमंत्रित करता है। ये सब आते हैं और यॉट पर मौज मजा करते हुए समुद्र के बीच आगे बढ़ते हैं। इनमें मंजरी फड़निस अपने पति जितिन गुलाटी और छोटी बेटी के साथ आयी है। सब लोग एक-एक कर समुद्र में तैरने के लिए कूदते हैं। अंत में जो कूदता है वह गलती से उस बटन को दबा देता है जिससे पानी में लटकी सीढ़ियां वापस यॉट में लौट जाती हैं। अब सभी लोग पानी में हैं। और यॉट पर चढ़ने के तमाम प्रयास नाकामयाब हैं। कोई पेट में पानी भरने से, कोई बेहोशी से और कोई शार्क मछली के हमले से एक-एक कर मरते जाते हैं। सबसे अंत में अपने दोस्त के कंधे पर चढ़कर मंजरी ऊपर पहुंचती हैं और सीढ़ियां नीचे जाने का बटन दबा देती है। इन सीढ़ियों पर चढ़कर मंजरी का पति भी ऊपर पहुंच जाता है। ऊपर बेटी भी जीवित है। फिल्म में अभिनय का स्कोप कम था क्योंकि हर समय तो किरदार समुद्र में ही हैं।

निर्देशक:     गुरमीत सिंह
कलाकार:     संतोष बारमोला, सुजाना रॉड्रिग्स, मंजरी फड़निस, वरुण शर्मा, जितिन गुलाटी, मधुरिमा

संगीत:       मीत एवं साबरी बदर्स।

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