Monday, September 30, 2013

वन्स अपऑन ए टाइम इन मुंबई दोबारा

फिल्म समीक्षा

वन्स अपऑन ए टाइम इन मुंबई दोबारा क्यों?

धीरेन्द्र अस्थाना

जब निर्देशक का नाम मिलन लूथरिया हो और वह एकता कपूर के साथ मिल कर वन्स अपऑन ए टाइम इन मुंबईऔर द डर्टी पिक्चरजैसी कामयाब तथा यथार्थवादी फिल्में बना चुका हो, तो उससे दर्शकों की उम्मीदें ज्यादा बढ़ जाती हैं। माना जाता है कि एकता कपूर पैशन और परफेक्शन के मामले में इतनी सख्त हैं कि कोई निर्देशक उनके जुड़ाव को हल्के में नहीं ले सकता। तो फिर इस सीक्वेल में ये क्या हुआ? सबसे पहले तो फिल्म की पूरी कास्ट ही मिस मैच है। कौन है कास्टिंग डायरेक्टर जिसने इस बात पर गौर ही नहीं किया कि अक्षय कुमार दूर-पास कहीं से भी दाऊद इब्राहिम जैसे डॉन नहीं लगते। फिर, इमरान खान को गुंडा क्यों बनाते हो भाई। यह मासूम चेहरे वाला लड़का प्यार करते हुए ही अच्छा लगता है। दूसरे, लार्जर दैन लाइफ का मतलब यह थोड़े ही है कि आप सच को देशनिकाला दे दो। कौन इस बात पर यकीन करेगा कि दाऊद जैसा खतरनाक आतंकवादी फिर से मुंबई लौटेगा और वह भी एक चिंदी से बागी गंुडे को सबक सिखाने के लिए। और भारत आकर वह एक लड़की के प्यार में इतना पागल हो जाएगा कि बेचारा और निरीह जैसा दिखने लगेगा। और हीरोईन बनने के लिए मुंबई आयी सोनाक्षी सिन्हा को इतना भी भान (ज्ञान) नहीं है कि जो गैंगस्टर उसके आगे-पीछे घूम रहा है और बार-बार बता भी रहा है कि वह शहर पर राज करता है, वह एक डॉन है। अब अंतिम प्रश्न यह कि जब अंडरवर्ल्ड के ऊपर आप एक नायाब फिल्म बना चुके हो तो उसका नकली, काल्पनिक और बेतुका सीक्वेल बनाने की जरूरत क्यों आन पड़ी? यह तो एक हरदम डायलॉगबाजी करने वाले नकली से गुंडे की असफल प्रेम कहानी का निर्माण जैसा कुछ हो गया। हां, इतनी तारीफ तो करनी ही पड़ेगी कि पूरी फिल्म बेहतरीन डायलॉगों से भरी हुई है। फिल्म के तमाम चरित्र जब भी बात करते हैं कोई न कोई डायलॉग ही मारते हैं। फिर चाहे वह फिल्म में कुछ क्षण के लिए प्रकट हुई सोनाली बेंद्रे ही क्यों न हों। यह अलग बात है कि कुछ क्षणों में भी वह कमाल कर गयी हैं। इस किरदार में निर्देशक अपनी क्रिएटिविटी का इस्तेमाल करते हुए यह स्थापित करता है कि डॉन ने मंदाकिनी जैसी हीरोइन का करिअर तो खत्म किया ही, अब वह किसी और को बर्बाद न करे। कुल मिला कर फिल्म रोचक है, अच्छी एंटरटेनर है लेकिन है शुद्ध काल्पनिक। उसका डॉन दाऊद या उसकी जिंदगी से कोई लेना देना नहीं है। वह अंडरवर्ल्ड से प्रेरित भी नहीं है। एक प्रेम त्रिकोण है जिसे अंडरवर्ल्ड के बैक ड्रॉप पर डाल दिया गया है।

निर्देशक: मिलन लूथरिया
कलाकार: अक्षय कुमार, सोनाक्षी सिन्हा, इमरान खान
संगीत: प्रीतम

16 अगस्त 2013





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