Saturday, January 15, 2011

यमला पगला दीवाना

फिल्म समीक्षा

मसालेदार ‘यमला पगला दीवाना’

धीरेन्द्र अस्थाना

समीर कर्णिक द्वारा निर्देशित ‘यमला पगला दीवाना’ कोई वैचारिक या कालजयी फिल्म नहीं है। यह एक मसालेदार आम मुंबइया फिल्म है जो अपने मकसद में काफी हद तक कामयाब हुई है। मकसद है बिना अश्लील हुए दर्शकों का साफ सुथरा मनोरंजन करना। इस मकसद के लिए फिल्म में नाच-गाना-हंसी-मजाक-मारधाड़- इमोशन-प्यार यानी तमाम मसाले डाले गये हैं और मूल स्वर ‘लाउड कॉमेडी’ का रखा गया है। शुद्ध रूप से ‘माइंडलेस कॉमेडी’ ऐसी ही फिल्मों को कहते हैं। इससे पहले फिल्म ‘अपने’ में पूरी देओल तिकड़ी (धम्रेन्द्र, सनी, बॉबी) अपने अभिनय के जलवे दिखा चुकी है। लेकिन ‘अपने’ एक संवेदनशील और भावप्रधान फिल्म थी। जबकि ‘यमला पगला दीवाना’ में यह तिकड़ी पहली बार कॉमेडी कर रही है। कहानी बहुत पुरानी और दर्जनों बार दोहरायी जा चुकी है। इसलिए फिल्म के आरंभ में ‘परिवार के बिछुड़ने और अंत में मिल जाने’ वाली कई फिल्मों के टुकड़े दिखाकर हल्के-फुल्के ढंग से स्वीकार लिया गया है कि यह भी वैसी ही फिल्म है, लेकिन नए अंदाज में। सनी देओल अपनी मां और विदेशी पत्नी के साथ कनाडा में रहता है। एक प्रसंग से उद्घाटित होता है कि उसका पिता धर्मेन्द्र और भाई बॉबी देओल बनारस में कहीं हैं। मां के आग्रह पर वह उन दोनों को खोजने बनारस आता है। बनारस आते ही वह बॉबी देओल के हाथों ठगा जाता है। दरअसल बनारस में रहकर धर्मेन्द्र और बॉबी लोगों को ठगने का ही धंधा करते हैं। सनी समझ जाता है कि वह सही जगह पहुंचा है। वह चुपचाप बॉबी के और उसके कारण धर्मेन्द्र के करीब होता जाता है। दो-तीन गंभीर संकटों से दोनों बाप-बेटों को सनी बाहर निकालता है। इसी दौरान बॉबी को साहिबा (कुलराज रंधावा) से प्यार हो जाता है। लेकिन साहिबा के भाई बॉबी को पीटकर साहिबा को अपने साथ पटियाला ले जाते हैं। बॉबी को उसका प्यार वापस दिलाने के लिए सनी बॉबी के साथ पटियाला जाता है। इस प्रकार फिल्म पंजाब और उसके कल्चर में एंट्री लेती है। बीच-बीच में कई उप प्रसंगों के जरिए हास्य के क्षण जुटाए जाते रहते हैं। साहिबा के भाई बॉबी के बजाय सनी से शादी को तैयार होते हैं तो उसके जरिए कॉमेडी का एक नया रंग उभरता है। दोनों की शादी के विज्ञापन को देख कनाडा से सनी की पत्नी भी पटियाला पहुंच जाती है। अंत में फिल्म का सुखद अंत होता है। सबकी गलत फहमियां दूर होती हैं। बॉबी-कुलराज की शादी होती है और बिछुड़ा परिवार समृद्ध होकर कनाडा लौटता है। फिल्म की सबसे बड़ी खामी यह है कि यह जरूरत से ज्यादा लंबी हो गयी है। कम से कम बीस मिनट का संपादन इसे चुस्त कर सकता था। मनोरंजन प्रेमी दर्शकों के लिए टाइम पास है।

निर्देशक: समीर कर्णिक
कलाकार: धर्मेन्द्र, सनी देओल, बॉबी देओल, कुलराज रंधावा, नफीसा अली, अनुपम खेर, जॉनी लीवर
संगीत: प्यारेलाल, संदेश शांडिल्य, अनु मलिक आदि।

1 comment:

  1. Majedar sameeksha likhi hai Sir...
    abhi laptop par film hi dekh raha hu....
    Apka Atul From Gwalior

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