Saturday, January 22, 2011

धोबीघाट

फिल्म समीक्षा

मुंबई दर मुंबई वाया ‘धोबीघाट’

धीरेन्द्र अस्थाना

मुंबई अनंत कथाओं, घटनाओं और चरित्रों का शहर है। एक आम कहावत है कि इस शहर में आदमी की पूरी जिंदगी लग जाती है तो भी यह शहर अनजाना-अनपहचाना सा बना रहता है। निर्देशिका किरण राव ने अपनी पहली फिल्म ‘धोबीघाट’ में इसी मुंबई को चार समानांतर कहानियों के जरिये खोलने-बताने की कोशिश की है। धोबीघाट से फिल्म का इतना भर नाता है कि फिल्म का युवा नायक प्रतीक बब्बर कपड़े धोने का काम करता है और एक्टर बनने का सपना संजोये हुए है। आमिर खान एक पेंटर हैं। मोनिका डोगरा विदेश से मुंबई आयी है फोटोग्राफी करने और शहर को जानने-समझने। पहले वह कुछ क्षण के लिए आमिर खान के जीवन में उतरती है फिर प्रतीक बब्बर के। अंत में दोनों ही उसके जीवन से ‘छूट’ जाते हैं। फिल्म में आमिर, प्रतीक और मोनिका के अलावा चौथी कहानी कृति मल्होत्रा की है जो तीन कैसेट्स के जरिये पर्दे पर घटित होती है। ये कैसेट्स आमिर खान को उस घर में मिलते हैं, जिस घर को उसने किराये पर लिया है। असल में ‘धोबीघाट’ एक वैचारिक और बारीक संवेदना वाली फिल्म है। सिनेमा के आम दर्शकों या बाजार के लिए इसे बनाया भी नहीं गया है। वह तो आमिर खान प्रोडक्शन की फिल्म है इसलिए पहले दिन काफी संख्या में इसे दर्शक मिल भी गए। वरना, जैसा कि खुद किरण राव ने एक साक्षात्कार में कहा था कि यह अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों की फिल्म है। आमिर तो खैर एक मंजे हुए कलाकार हैं इसलिए उनके बारे में क्या कहना? हां, प्रतीक बब्बर ने कमाल की एक्टिंग की है। यह सही मायने में प्रतीक की लांचिंग की पहली फिल्म है और अपनी इस फिल्म से वह भविष्य की उम्मीद बन गये हैं। मोनिका डोगरा का अभिनय भी जीवंत और सहज है। चार कहानियों वाली इस यथार्थवादी फिल्म को बड़ी सहजता से सवा दो घंटे में लाया जा सकता था। पता नहीं क्यों किरण राव ने इसे पिच्चानबे मिनट में समेट दिया। इस फिल्म से दर्शक मनोरंजन की उम्मीद न करें। इसे पेंटिंग की तरह ‘फील’ करने और कविता की तरह आत्मसात करने के लिए बनाया गया है। अपनी पहली ही फिल्म को ‘विमर्श’ की तरह पेश करके किरण राव ने साहस का परिचय दिया है। अंत में यह कि फोटोग्राफर की आंख से देखी गयी मुंबई वाली इस फिल्म की फोटोग्राफी में जान है।

निर्देशक: किरण राव
कलाकार: आमिर खान, प्रतीक बब्बर, मोनिका डोगरा, कृति मल्होत्रा
संगीत: गुस्ताव सांता ओलाला

1 comment:

  1. रोज ऑफिस जाते समय एक दिन टैक्सी महालक्ष्मी स्टेशन के पड़ोसी उस धोबी घाट पर रुकवाई, जिसने मिसेज आमिर खान को धोबी घाट बनाने के लिए प्रेरित किया था। कुछ फोटो खिंचे। मेरे फेसबुक पर है।

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