Saturday, January 8, 2011

नो वन किल्ड जेसिका

फिल्म समीक्षा

नो वन किल्ड जेसिका

तंत्र का तमाशा बनाम तमाशे का तंत्र

धीरेन्द्र अस्थाना



दिल्ली के एक बहुचर्चित मर्डर केस पर आधारित इस ‘कल्पना प्रधान’ फिल्म की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसे बेहद सधे हाथों और संवेदनशील ढंग से बुना गया है। फिल्म में घोषणा की गयी है कि यह सत्य घटना पर आधारित काल्पनिक फिल्म है। पर इससे क्या? आम जनता तक अपना संदेश पहुंचाने के मकसद में निर्देशक कामयाब हुआ है। काश, इतनी बेहतरीन और सामाजिक यथार्थ से जुड़ी फिल्में किसी रोज व्यापक दर्शक समूह से भी जुड़ सकें। ‘दबंग‘ देखने के आदी दर्शक जिस दिन ‘जेसिका’ को अपना व्यापक समर्थन देने लगेंगे, तंत्र की ताकत धरी रह जाएगी। एक साफ सुथरी, मर्मस्पर्शी और वैचारिक फिल्म है ‘नो वन किल्ड जेसिका।‘ सत्ता के केन्द्र दिल्ली में कैसे तंत्र और धन की सांठ-गांठ के सामने आम जीवन असहाय और निहत्था है, इसका ज्वलंत विमर्श पेश करती है फिल्म। एक पैग दारू के लिए सपना देखती एक युवा जिंदगी कुचल दी जाती है। तीन सौ लोगों की पार्टी में तमाम लोग मर्डर से पहले ही घर चले जाते हैं। बचे हुए कुल सात गवाह खरीद लिए जाते हैं। उन्हें एक करोड़ रुपये या एक गोली के बीच चुनाव करना है। जाहिर है बेदिल दिल्ली में लोग रुपये को चुनते हैं। केस दाखिल दफ्तर हो जाता है। फैसला है ‘नो वन किल्ड जेसिका।’ यहां तक की फिल्म विद्या बालन और केस की है। यह मध्यांतर है। और अब इसी पथरीली दिल्ली का दूसरा चेहरा उभरता है। अब शुरू होती है रानी मुखर्जी की फिल्म। रानी एक बिंदास टीवी पत्रकार है। वह अपनी खोजी रिपोर्टों से दफन हो चुके किस्से को पुनर्जीवित करती है। जेसिका के मुद्दे पर दिल्ली में जन जागरण आरंभ होता है, जिसमें रानी की महती भूमिका है। दिल्ली के नेतृत्व में पूरा देश जेसिका के हक में खड़ा होता है और अंततः न्याय होता है। लेकिन यह फिल्म है। वास्तविक जिंदगी में दबंगई ही जीतती है आम तौर पर। तंत्र के सामने आम आदमी का तमाशा ही बनता है अक्सर। रानी और विद्या दोनों ने अपने अभिनय से फिल्म में जान डाल दी है। एक ने आहत और टूटी हुई लड़की का तो दूसरी ने दबंग पत्रकार का किरदार विश्वसनीयता के साथ निभाया है। अब रानी को ऐसे ही अर्थ पूर्ण चरित्र निभाने चाहिए। फिल्म का गीत-संगीत भी उसकी एक बड़ी ताकत है। ‘दिल्ली दिल्ली’ वाला शीर्षक गीत जमता है। ऐसी फिल्मों को अनिवार्यतः देखकर निर्देशक की हौसला आफजाई करनी चाहिए।

निर्देशक: राजकुमार गुप्ता
कलाकार: रानी मुखर्जी, विद्या बालन, श्रीश शर्मा, मोहम्मद जीशान, मायरा
संगीत: अमित त्रिवेदी

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