Saturday, December 12, 2009

रॉकेट सिंह: सेल्समैन ऑफ द ईयर

फिल्म समीक्षा

कहानी के घर में ‘रॉकेट सिंह‘

धीरेन्द्र अस्थाना

वैसे तो यशराज, बैनर की नयी फिल्म ‘रॉकेट सिंह: सेल्समैन ऑफ द ईयर‘ को कॉमेडी फिल्म कह कर प्रचारित किया गया है लेकिन हकीकत में यह कॉमेडी से थोड़ा आगे की फिल्म है। यह उन फिल्मों की अगली कतार में खड़ी मानी जाएगी जिनके चलते हिंदी सिनेमा की ‘कहानी के घर में वापसी‘ हुई है। एक सार्थक, चुस्त दुरूस्त, नयी सी कसी हुई कहानी वाली साफ सुथरी मनोरंजक फिल्म है रॉकेट सिंह। जो लोग सिनेमा में एक बेहतर कहानी पसंद करते हैं उन्हें यकीनन यह फिल्म बहुत पसंद आएगी। बॉक्स ऑफिस पर भी फिल्म अच्छा व्यवसाय कर सकती है क्योंकि इसे पसंद न करने का एक भी कारण निर्देशक शिमित अमीन ने छोड़ा नहीं है। फिल्म के कथानक में तो ताजगी है ही, उसे बेहतर ढंग से फिल्माया भी गया है। यह शिमित अमीन निर्देशित तीसरी फिल्म है जिसके जरिए उन्होंने साबित किया है कि वह एक काबिल और सुलझे हुए निर्देशक हैं। इससे पहले की उनकी दो फिल्में भी जबर्दस्त चर्चित रही थीं। सहारा वन मोशन पिक्चर्स की ‘अब तक छप्पन‘ और यशराज की ही ‘चक दे इंडिया‘। अलग-अलग जोनर की फिल्में होने के बावजूद ये दोनों भी सिर्फ एक दमदार कहानी के कारण हिट हुई थीं। ‘रॉकेट सिंह‘ भी कहानी के स्तर पर दम खम वाली फिल्म है।

यह जानना दिलचस्प होगा कि पूरी फिल्म में न तो कोई नाच-गाना है, न मारधाड़ है और न ही कोई चूमा चाटी या आइटम नंबर है। न तो नंगई है, न ही लफंगई तो भी पूरी फिल्म लगातार बांधे रखती है। पूरी तरह मार्केटिंग जैसे शुष्क विषय पर होने के बावजूद ‘राकेट सिंह‘ एक रसीली फिल्म है। एक सिख नौजवान के नये अवतार में रणबीर कपूर ने जता दिया है कि निर्माता-निर्देशक उन्हें लेकर सोलो हीरो वाली फिल्में बना सकते हैं। इतने कम समय में रणबीर ने अपना खुद का एक युवा दर्शक वर्ग खड़ा कर लिया है। इससे जाहिर होता है कि उन्होंने अभिनय के काम में खुद को झोंक दिया है। उनकी सफलता का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। फिल्म में हीरोईन के लिए कोई गंजाइश नहीं थी इसीलिए रणबीर के अपोजिट नया चेहरा रखा गया है। पूरी फिल्म मार्केटिंग की एक अजानी दुनिया से हमारा परिचय कराती है। इस दुनिया को जानना रोचक भी है और रोमांचक भी। फिल्म एक संदेश भी देती नजर आती है - तमाम छल छद्म, गला काट प्रतियोगिता और भ्रष्टाचार के बावजूद व्यापार की बुनियादी ताकत ईमानदारी, प्रतिबद्धता और हौसला ही है। इन्हीं तीन ताकतों के चलते रणबीर कपूर अंततः एक साम्राज्य से टकरा कर भी जीत जाता है। प्रेम चोपड़ा की नए ढंग की अभिनय शैली भी फिल्म का विशेष आकर्षण है। फिल्म को देख लेना चाहिए।

निर्माता: आदित्य चोपड़ा
निर्देशक: शिमित अमीन
कलाकार: रणबीर कपूर, शाजहान पद्मसी, शेरोन प्रभाकर, प्रेम चोपड़ा
कथा: जयदीप साहनी

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