Saturday, September 26, 2009

व्हाट्स योर राशि

फिल्म समीक्षा

बारह कहानियों की एक राशि
धीरेन्द्र अस्थाना

आशुतोष गोवारीकर आम तौर पर लंबी फिल्में ही बनाते हैं लेकिन 'व्हाट्स योर राशि' बना कर तो उन्होंने अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया है। दो घंटे का सिनेमा वाले आज के समय में पौने चार घंटे की फिल्म ... 'मेरा नाम जोकर' की याद आ गयी जो चार घंटे और दो इंटरवल वाली फिल्म थी। फिल्म की एक मात्र विषता प्रियंका चोपड़ा हैं जिन्होंने बारह राशि के बारह विभिन्न किरदारों को अंजाम देने के मामले में यह विश्व रिकॉर्ड है। इससे पहले संख्या और गुणवत्ता के संदर्भ में सिर्फ संजीव कुमार को याद किया जाता है जिन्होंने फिल्म 'नया दिन नयी रात' में नौ चरि़त्र निभाये थे।

प्रियंका के कम से कम दो चरित्र ऑफ बीट हैं। एक सबसे पहला, लगभग गंवई लड़की का। दूसरा एक नाबालिग किशोरी का जो पढ़ना चाहती है लेकिन जिसका पिता पंद्रह साल की छोटी सी उम्र में ही उसका ब्याह रचा देना चाहता है। बारह राशियों की बारह कहानियां हैं जिन पर पूरे विस्तार के साथ बारह राशियों की बारह कहानियां हैं जिन पर पूरे विस्तार के साथ बारह फिल्में बनायी जा सकती थीं। निर्देशक ने बारह जिंदगियों से जुड़ी दास्तानों को एक ही फिल्म में पिरो दिया है। फिल्म तो लंबी बनी ही थी। लंबाई के ही डर से प्रत्येक कहानी को स्पर्श भर किया गया है। कुछ राशियों से जुड़ी प्रियंका के चरित्र, जीवन संघर्ष, स्वप्नों और संवेदना को गहराई और विस्तार से बुना जा सकता था। प्रियंका ने साबित किया है कि वह एक बहुआयामी और बहुमुखी प्रतिभा की धनी अदाकारा हैं। प्रियंका के जीवंत अभिनय के सामने हरमन बावेजा अशक्त नजर आते हैं। फिल्म में प्रियंका के अपोजिट सैफ अली खान होते या ऋतिक रोशन तो फिल्म में जान आ जाती। आशुतोष गोवारीकर को इस बात की बधाई देनी चाहिए कि इतनी लंबी फिल्म को कहानी, संपादन, बुनावट, दृश्यांकन आदि के विभिन्न स्तरों पर उन्होंने इतनी कुशलता से साधे रखा। आश्चर्य कि दर्शन फिल्म को बीच में छोड़ कर नहीं भागे।

कहानी के स्तर पर फिल्म में नयापन यह है कि हरमन बावेजा को दस दिन में शादी करनी है। उसके वैवाहिक विज्ञापन के जवाब में 176 लड़कियों ने आवेदन किया है इसिलए वह प्रत्येक राशि की एक लड़की से मिलना तय करता है। ये बारह मुलाकातें ही फिल्म की रोचकता को बनाए रखती हैं। फिल्म में राजेश विवेक की जासूसी वाला प्रसंग एकदम निरर्थक और उबाउ है। फिल्म का संगीत भी बहुत थका- थका और प्राचीन है। तो भी एक बार देखने लायक फिल्त तो है।
निर्देशक - आशुतोष गोवारीकर
कलाकार - हरमन बावेजा, प्रियंका चोपड़ा, दर्शन जरीवाला 'इनके कारण फिल्म गतिशील रहती है', अंजन श्रीवास्तव, राजेश विवेक।
गीत - जावेद अख्तर
संगीत - सोहेल खान

2 comments:

  1. Sir,Samikcha padhi to maine aur mere dost Atul film bhi dekh dali ekdam mast aur sateek andaj raha apka.....
    ...Nidhi Sharma.

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  2. धन्यवाद पढ़ना जारी रखें, अच्छा लगता है।

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