Saturday, October 3, 2009

डू नॉट डिस्टर्ब

फिल्म समीक्षा

डेविड धवन ने कुनबा जोड़ा

धीरेन्द्र अस्थाना

बड़ी पुरानी कहावत है - कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा, भानुमति ने कुनबा जोड़ा। वशु भगनानी जैसे बड़े निर्माता की महंगी फिल्म ‘डू नॉट डिस्टर्ब‘ में निर्देशक डेविड धवन ने भी यही किया है। मुख्य धारा सिनेमा के कुछ लोग मानते हैं कि कॉमेडी एक ऐसा नुस्खा है जो बॉक्स ऑफिस पर कभी फ्लॉप नहीं होता है। बात कुछ हद तक सही भी है। इस भागमभाग, मारकाट, दुख-संताप और गले गले तक गम में डूबी दुनिया का कौन सा ऐसा नागरिक है जो यह कहेगा कि साहब, मैं हंसना नहीं चाहता। जन मानस की इसी कमजोरी को भांप कर कॉमेडी किंग डेविड धवन ने फिर एक माइंडलेस कॉमेडी बनायी है। अगर आपकी दिलचस्पी सिर्फ हंसने-हंसाने में है और सिनेमा का काम आप सिर्फ मनोरंजन करना मानते हैं तो फिल्म को देख आइए। प्रदर्शन के पहले दिन की रिपोर्ट कहती है कि गोविंदा-सुष्मिता-लारा-रितेश देशमुख अभिनीत इस फिल्म को देखने हजारों दर्शक पहुंचे।
यकीनन फिल्म में हंसने हंसाने की कई जबर्दस्त स्थितियां पैदा की गयी हैं। भंगिमाओं से भी, संवादों से भी और सिचुएशंस से भी। कहानी बड़ी साधारण सी है। सुष्मिता सेन एक करोड़पति बिजनेस वुमेन है। गोविंदा उसका पति है जिसे बार बार सुष्मिता यह अहसास दिलाती रहती है कि गोविंदा उसकी कंपनी का कर्मचारी है। लारा दत्ता गोविंदा की गर्लफ्रेंड है जबकि सोहेल खान लारा का सच्चा आशिक है।
सुष्मिता सेन को शक है कि गोविंदा का टांका कहीं और भिड़ा हुआ है। वह प्राइवेट डिटेक्टिव रणवीर शोरी को गोविंदा की जासूसी के लिए तैनात करती है। इधर गोविंदा एक गरीब लेकिन ऐशो आराम पसंद युवक रितेश देशमुख को खरीद कर उसे लारा दत्ता का नकली आशिक बना देता है ताकि प्राइवेट जासूस नाकाम रहे। इस स्थूल सी कहानी के इर्द-गिर्द कुछ उपकथाएं और स्थितियां निर्मित कर पूरी फिल्म बनायी गयी है। गोविंदा हंसाने में माहिर माने जाते हैं। माहिर हैं भी। लेकिन उन्हें अपना वजन कम करना चाहिए। वह काफी थुलथुल नजर आने लगे हैं। सुष्मिता सेन भी मोटी दिखती हैं। हालांकि अदाकारा वह अच्छी हैं। लारा दत्ता और रितेश देशमुख ने भी दर्शकों को हंसाने की भरपूर कोशिश की है। राजपाल यादव तो मूलतः हास्य कलाकार ही हैं। रणवीर शोरी को कॉमेडी नहीं करनी चाहिए। वह उनके बस की बात नहीं है। वह एक संजीदा कलाकार हैं। उन्हें के के मेनन की तरह गंभीर भूमिकाएं ही करनी चाहिए। कॉमेडी और गंभीर अभिनय के बीच का असमंजस उनकी बॉडी लैंग्वेज से साफ पता चलता है। फिल्म के दस गायकों ने मिल कर भी एक गाना ऐसा नहीं गाया जिसे गुनगुनाया जा सके। गीत-संगीत एकदम औसत है। हां, फिल्म की कुछ लोकेशंस आकर्षक हैं।

निर्माता: वशु भगनानी
निर्देशक: डेविड धवन
कलाकार: गोविंदा, सुष्मिता सेन, रितेश देशमुख, लारा दत्ता, सोहेल खान, राजपाल यादव
गीतकार: समीर

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