Saturday, September 5, 2009

थ्री

फिल्म समीक्षा

सफल नहीं हुआ ‘थ्री‘ का फंडा

धीरेन्द्र अस्थाना

इतनी खराब फिल्म भी नहीं है कि एक बार भी न देखी जा सके। दर्शक बटोरने के लिए विक्रम भट्ट ने ‘थ्री‘ का न्यूमरोलॉजिकल फंडा भी अपनाया था लेकिन टिकट खिड़की पर यह फंडा सफल नहीं हुआ। तीन पात्रों वाली फिल्म ‘थ्री‘ को अच्छी ओपनिंग नहीं मिल सकी। मल्टीप्लेक्स थियेटरों में किसी भी फिल्म का कोई शो तभी चलाया जाता है जब उसे देखने कम से कम छह दर्शक आएं। सिनेमेक्स, मीरा रोड में ऐन शो के वक्त एक युवा जोड़े के आ जाने से कोरम पूरा हुआ वरना ‘थ्री‘ का तीन बजे का पहला शो रद्द होने वाला था।
फिल्म में एक रहस्यमयी प्रेम कहानी कहने का अच्छा प्रयास किया गया है। फिल्म को बुना भी ढंग से गया है। कहीं कोई अश्लीलता भी नहीं है। फिल्म के संवाद सशक्त हैं जो प्रभावित करते हैं। फिल्म के तीनों पात्रों ने अपने अपने स्तर पर अच्छा अभिनय करने का प्रयत्न किया है। पूरी फिल्म में सस्पेंस भी कायम रहता है। लोकेशंस भी अच्छे हैं। गीत-संगीत भी ठीक-ठाक है। इस सबके बावजूद दर्शक फिल्म देखने नहीं पहुंचे तो इसका एक ही कारण हो सकता है कि फिल्म का सुनियोजित और व्यापक प्रचार नहीं किया गया। एक वजह यह भी रही कि इस बार एक साथ छह फिल्में रिलीज हुईं। दर्शक भ्रमित भी हुए और बंट भी गये।
आरंभ में ऐसा आभास होता है कि ‘थ्री‘ एक विवाहेतर रिश्तों पर बनी आम फिल्म है, जिसे कुछ नये अंदाज में पेश किया जा रहा है। बाद में पता चलता है कि यह प्यार के नाम पर ब्लैकमेलिंग की कहानी है जिसे आशीष चैधरी अंजाम दे रहा है। सबसे अंत में इस रहस्य से पर्दा उठता है कि नौशीन अली की करोड़ों रुपये की कोठी पर कब्जा करने के लिए पति अक्षय कपूर और तथाकथित प्रेमी आशीष चैधरी की संयुक्त साजिश है। मतलब एक स्त्री के साथ दो पुरुषों ने मिल कर ‘इमोशनल अत्याचार‘ किया है। कमीनेपन के इस क्रूर खेल में दोनों पुरुषों को अपने बौद्धिक कौशल से नौशीन परास्त कर देती है। पति नौशीन के हाथों मारा जाता है लेकिन जब आशीष अक्षय को दफना रहा होता है तब पुलिस के हाथों धर लिया जाता है। नौशीन पुलिस को फोन करके बता देती है कि आशीष उसे घायल कर के पति को मारने गया है। इस प्रकार प्यार में घायल औरत अपना इंतकाम ले लेती है और पुनः अपनी पैतृक कोठी में बच्चों को वायलिन सिखाने का काम शुरू कर देती है। इस प्रकार एक क्रूर दुनिया में वह अपना ‘स्पेस‘ बचा लेती है। दोनों पुरुष एक्टरों के मुकाबले नयी नौशीन ने ज्यादा परिपक्व, संवेदनशील और बेहतर अभिनय किया है। एक बार देखी जा सकती है यह फिल्म।
निर्माता: विक्रम भट्ट
निर्देशक: विशाल पंड्या
कलाकार: आशीष चैधरी, नौशीन अली, अक्षय कपूर
संगीत: चिरंतन भट्ट

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