Monday, August 3, 2009

लव आज कल

फिल्म समीक्षा

कल हो या आज मोहब्बत जिंदाबाद

धीरेन्द्र अस्थाना

निर्देशक इम्तियाज अली ने फिर साबित किया कि वह एक कल्पनाशील और बेहतर फिल्मकार हैं। ‘जब वी मेट‘ उनकी पहली हिट निर्देशित फिल्म थी जिसमें दो युवाओं के प्यार को उन्होंने बेहद दिलचस्प तथा जीवंत अंदाज में पेश किया था। अपनी नयी फिल्म ‘लव आज कल‘ में भी उन्होंने दो युवाओं की मोहब्बत को दो काल खंडों में पेश कर के प्रेम की नयी-पुरानी व्याख्या को भी अंजाम दिया है। एक सन् पैंसठ की दिल्ली है जिसमें ऋषी कपूर प्रेम करते हैं। एक सन् 2009 का लंदन है, जिसमें सैफ अली खान-दीपिका पादुकोन की फटाफट मोहब्बत है। इस मोहब्बत के बीच में विलेन बन कर खड़े हैं दोनों के करियर। दोनों को लगता है कि इश्क-प्यार बीते जमाने की बातें हैं। शादी करके एक दूसरे को झेलना पड़ेगा। इसलिए दोनों सहर्ष अलग होते हैं। दोस्तों को ब्रेकअप पार्टी देते हैं। दोस्त भ्रमित हैं। इस मौके पर बधाई दें या अफसोस प्रकट करें? गिफ्ट क्या दें? ‘ब्रेक अप पार्टी‘ की यह अवधारणा दिलचस्प और अनूठी है। यह ‘ब्रेक अप‘ प्रतिबद्धता से पलायन का दर्शन है। दिक्कत यह है कि, फिल्म की भाषा में कहें तो, आम जनता यानी मैंगो पीपुल को यह फिलॉस्फी थोड़ा जटिल और बोझिल लग सकती है। इस फिलाॅस्फी में प्रवेश करते ही फिल्म एक बौद्धिक विमर्श में बदल जाती है।
दीपिका और सैफ अपनी मर्जी से अलग होते हैं। अपने-अपने करियर के रास्ते पर जैसे-जैसे आगे बढ़ते हैं दोनों के मन में कुछ घटता है। कुछ ऐसा जिसकी उन्होंने न कल्पना की थी न इच्छा। प्रेम छलावा था, करियर सत्य। लेकिन सत्य के साथ उनका यह प्रयोग तो उन्हें नष्ट-भ्रष्ट कर गया। अलग होने की यात्रा तो एक कदम आगे दो कदम पीछे में बदल गयी। ऋषी कपूर का बोला जुमला ‘प्यार एक ही बार होता है‘ तो अंतिम सत्य निकला। कल हो या आज मोहब्बत जिंदाबाद। क्या दुनिया की किसी भी भाषा में कोई एक भी फिल्म बनी है या कहानी लिखी गयी है जो यह सिद्ध करती हो कि ‘मोहब्बत‘ नाम की भावना निरी बकवास है? नहीं। तो फिर ‘लव आज कल‘ मोहब्बत विरोधी कैसे हो सकती थी। पॉप-रॉक अपनी जगह है यार मोहब्बत अपनी जगह है। यही है ‘लव आज कल‘ जिसे देखा जाना चाहिए। ऋषी कपूर जब अपने अतीत में जाते हैं तो युवा सिख सैफ अली खान के वेष में ढल जाते हैं। यह भी एक नया अंदाज है नये-पुराने की तुलना का। अपने किरदार को जीवंत बनाने के लिए दीपिका ने जान लगा दी है। पंजाबी गीतकार मदन मद्दी का मशूहर गीत ‘आजा दिल जानिया‘ इस फिल्म में संगीतकार प्रीतम ने इस्तेमाल किया लेकिन उनका उल्लेख नहीं किया, यह गलत बात है।

निर्देशक: इम्तियाज अली
कलाकार: सैफ अली खान, दीपिका पादुकोन, ऋषी कपूर, नीतू सिंह।
संगीतकार: प्रीतम चक्रवर्ती

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