Saturday, July 11, 2009

शॉर्टकट

फिल्म समीक्षा

कॉमेडी का ट्रेजिक ‘शॉर्टकट‘

धीरेन्द्र अस्थाना

कॉमेडी कह कर प्रचारित की गयी अनिल कपूर प्रोडक्शन की फिल्म ‘शॉर्टकट‘ के साथ ढेर सारी ट्रेजेडी जुड़ी हुई हैं। सबसे पहली यह कि इस फिल्म के हीरो अक्षय खन्ना हैं जो बॉलीवुड में संजीदा और अर्थपूर्ण अभिनय करने के लिए जाने जाते हैं। फिल्म ‘गांधी माई फादर‘ में वह अपने सशक्त अभिनय की मिसाल पेश कर चुके हैं। पूरी फिल्म में उन्होंने गंभीर अभिनय किया है। एक सफल निर्देशक बनने का सपना जीने वाले फिल्मकार के संघर्ष और तड़प को उन्होंने उम्दा तरीके से व्यक्त किया है। फिल्म की दूसरी ट्रेजेडी यह है कि एक गंभीर विषय पर हास्य फिल्म बनाने की गलती की गयी है। तीसरी ट्रेजेडी यह कि सिनेमा के परिदृश्य और जीवन पर बनायी गयी फिल्म में सारी की सारी घटनाएं एकदम अविश्वसनीय और अतार्किक हैं। फिल्म का एक सार्थक संदेश है कि ‘सिनेमा का कोई शॉर्टकट नहीं होता।‘ जबकि खुद निर्देशक नीरज वोरा ने अपनी फिल्म ‘शॉर्टकट‘ को ‘शॉर्टकट स्टाइल‘ में निपटा दिया है। दर्शक तो दर्शक खुद सिनेमा के लोग भी नहीं मानेंगे कि सिनेमा की दुनिया इस कदर फरेबी और नकली होती है जैसी ‘शॉर्टकट‘ में दर्शायी गयी है।

अनीस बज्मी ने फिल्म की कहानी अच्छी और सरल-साफ लिखी है। उस पर एक सीधी और सार्थक फिल्म बनायी जा सकती थी। एक गंभीर कहानी को कॉमेडी की अंधी गली में धकेलने की कोई जरूरत ही नहीं थी। दर्शक अब समझदार हैं। पढ़े-लिखे हैं। विश्व सिनेमा के भी जानकार हैं। वे अच्छी फिल्में पसंद करते हैं फिर भले ही फिल्म कॉमेडी हो, ट्रेजेडी हो, आतंकवाद पर हो, लव स्टोरी हो या एक्शन हो। सिर्फ एक ही शर्त है कि फिल्म को अच्छा होना चाहिए। सिर्फ कॉमेडी फिल्में ही चलती हैं यह एक बहुत बड़ा भ्रम है जिससे निर्माता-निर्देशकों को अपना पिंड छुड़ा लेना चाहिए। पिछले दिनों की हिट लेकिन गंभीर फिल्में ‘न्यूयाॅर्क‘, ‘गुलाल‘, ‘देव डी‘, ‘दिल्ली-6‘ इसका उदाहरण हैं।

पता नहीं क्यों चंकी पांडे को ज्यादा फिल्में नहीं मिलतीं? ‘शॉर्टकट‘ में एक बेवकूफ सुपर स्टार के सेक्रेट्री की भूमिका में उन्होंने जान डाल दी है। गरीब लोगों की एक चाल के मालिक की संवेदनशील भूमिका का निर्वाह सिद्धार्थ रांदेरिया ने विश्वसनीय ढंग से किया है। एक असफल और स्ट्रगलर ही नहीं, फिल्म अभिनय का एबीसीडी भी न जानने वाला अरशद वारसी अक्षय खन्ना की फिल्म स्क्रिप्ट चुरा कर और उसमें एक्टिंग करके सुपर स्टार बन जाता है, यह पूरा प्रसंग बनावटी और अतार्किक है। ऐसे ही कई प्रसंगों पर यह फिल्म खड़ी हुई है। अंत में हम भी यही कहना चाहेंगे कि सिनेमा का कोई शॉर्टकट नहीं होता।

निर्माता: अनिल कपूर
निर्देशक: नीरज वोरा
कलाकार: अक्षय खन्ना, अरशद वारसी, अमृता राव, चंकी पांडे, सिद्धार्थ रांदेरिया
गीत: जावेद अख्तर
संगीत: शंकर-अहसान-लॉय

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