फिल्म समीक्षा
तंत्र पर तमाचा ‘पीपली लाइव‘
धीरेन्द्र अस्थाना
बॉलीवुड में बनने वाली एक अच्छी या बुरी फिल्म नहीं है ‘पीपली लाइव।‘ फिल्म की तरह इसकी समीक्षा की भी नहीं जा सकती। असल में ‘पीपली लाइव‘ बना कर इसके मूल निर्माता आमिर खान ने यह बताया है कि कोई भी सार्थक (और सफल भी) काम करने के लिए केवल और केवल एक बेहतरीन दिमाग की जरूरत पड़ती है। पैसा, ताम झाम, ग्लैमर बहुत बाद की बातें हैं। यही वजह है कि ‘पीपली लाइव‘ नामक तथाकथित फिल्म में कदम कदम पर आमिर खान का उर्वर दिमाग जैसे एक निर्णायक युद्ध सा लड़ता नजर आता है। पारंपरिक अर्थों में ‘पीपली लाइव‘ सिनेमा है भी नहीं। यह दरअसल सिनेमा के नाम पर एक खतरनाक तमाचा है जिसकी अनुगूंज आने वाले कई वर्षों तक वातावरण में बनी रहेगी। इस तमाचे के गहरे, रक्तिम निशान सत्ता के तंत्र पर बरसों बरस चमकते रहेंगे। और जो लोग इस सिनेमाई विमर्श के अनुभव से गुजरे हैं या गुजरेंगे वे इस बात के गवाह रहेंगे कि तंत्र चाहे स्थानीय हो, चाहे प्रादेशिक, चाहे भारतीय वह कितना अमानवीय, लोलुप, बेदर्द और जंगली होता है। तंत्र की बर्बरता का बखान करने के क्रम में आमिर खान ने मीडिया को भी नहीं बख्शा है। ‘पीपली लाइव‘ में मीडिया एक मजाक बन कर दौड़ता है - बदहवास, बेमतलब और बेलगाम। इस प्रकार एक गुमनाम गांव में एक किसान के आत्महत्या करने के ऐलान की पृष्ठभूमि पर आमिर खान का यह सिनेमाई पाठ सत्ता से जुड़ी हर संस्था को खेल-खेल में नंगा कर देता है। महान कवि गजानन माधव मुक्ति बोध की तरह यह बुदबुदाते हुए -‘हाय हाय, मैंने उन्हें देख लिया नंगा/अब मुझे इसकी सजा मिलेगी।‘
अगर ‘पीपली लाइव‘ केवल मल्टीप्लेक्स की फिल्म बन कर रह गयी तो यह इसकी और इससे जुड़े तमाम लोगों की हार होगी। ‘पीपली लाइव‘ की विजय उसके व्यापक प्रदर्शन में निहित है। गांव-गांव-गली-गली-कस्बे-कस्बे में इसका प्रदर्शन ही इसे इसके मकसद तक पहुंचा सकता है। यह कैसे होगा यह भी आमिर खान को ही सोचना होगा। फिल्म के प्रोमोज लगभग पूरी फिल्म पहले ही बयान कर चुके हैं। हम केवल इतना बताना चाहते हैं कि आमिर खान को एक हजार गांवों से एक एक चिट्ठी आयी है। हर गांव का नाम पीपली है यानी कम से कम हिंदुस्तान में पीपली नाम के एक हजार गांव तो मौजूद हैं ही। एक रघुवीर यादव को छोड़ कर कोई भी फिल्मी कलाकार नहीं है लेकिन अभिनय के मामले में कोई कमतर नहीं है। ‘पीपली लाइव‘ के गाने प्रदर्शन से पूर्व ही लोकप्रिय हो चुके हैं। एक अनूठी, दिलचस्प और जरूरी फिल्म को तुरंत देखने जाएं।
निर्माता: आमिर खान /यूटीवी
निर्देशक: अनुषा रिजवी
कलाकार: रघुवीर यादव, ओमकारदास माणिकपुरी, मलाइका शिनॉय, नवाजुद्दीन सिद्धिकी, फारुख जफर
संगीत: इंडियन ऑसियान, बृज आदि
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Saturday, August 14, 2010
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