Sunday, March 1, 2015

बदलापुर

फिल्म समीक्षा
बचकाने बदले की बदलापुर 
धीरेन्द्र अस्थाना
बड़ी अजीबोगरीब, तर्कहीन और बेसिर पैर की फिल्म है बदलापुर। दो स्टार इसलिए दिए हैं क्योंकि फिल्म में दो बेहतरीन गाने और नवाजुद्दीन जैसे सपोर्टिंग आर्टिस्ट का कमाल का अभिनय है। नवाज नेगेटिव किरदार में है लेकिन पूरी फिल्म में वही छाया हुआ है। अपने किरदार में पूरी तरह घुस जाना और बिल्कुल किरदार जैसा हो जाना इसे एक्टिंग के संसार में कायांतरण कहते हैं। नवाज ने इस कायांतरण कला को साध लिया है।  फिल्म को नवाज के अभिनय के कारण ही देखा जा सकता है। वरूण धवन फिल्म का हीरो है लेकिन अपनी करतूतों से वह विलन के रूप में बदलता नजर आता है। प्रतिशोध में भरे हुए व्यक्ति के चरित्र को वह साध नहीं सका है। असल मंे उसके चरित्र में ही नहीं पूरी पटकथा में ही काफी सारे झोल हैं। फिल्म को ठीक से सोचा ही नहीं गया है। दूसरी तरफ नवाज विलेन है लेकिन अपनी कुर्बानी से वह दर्शकों की सहानुभूति बटोर ले जाता है। एक हत्यारे को महानता का, संवेदनशीलता का और इंसानियत का चोला पहना कर निर्देशक कौन सा नया सिद्धांत गढ़ना चाहते हैं यह समझ से परे है। फिल्म का आरंभ अच्छा हुआ था। नवाज और विनय पाठक एक बैंक लूटने के बाद वरूण धवन की पत्नी की कार में धुस जाते हैं। तेज चलने की वजह से अचानक कार का दरवाजा खुल जाता है और यमी का बेटा सड़क पर गिर जाता है। यमी के शोर मचाने और प्रतिवाद करने के कारण कार चलाता नवाज यमी को गोली मार देता है। फिर वह अपने साथी विनय पाठक को एक मोड़ पर उतार कर गाड़ी भगा ले जाता है। आखिर पुलिस की दो गाड़ियां उसे घेर लेती हैं। नवाज को बीस साल की जेल होती है। जेल से पहले कस्टडी में बहुत पिटने के बाद भी वह अपने पार्टनर का नाम नहीं बताता है। जेल में रहते हुए नवाज को केंसर हो जाता है। अब तक वह सजा के पंद्रह साल पूरे कर चुका है। इस बीच वरूण भी पुणे छोड़ मुंबई के बदलापुर उपनगर में बस चुका है। नवाज एक साल के भीतर मरने वाला है। कैदियों के लिए काम करने वाली एक संस्था की अध्यक्ष दिव्या दत्ता वरूण धवन के पास इस आशय से पहुंचती है कि वह नवाज को मा फ कर दे ताकि नवाज जेल में नहीं अपने घर में मर सके। वरूण मना कर देता है लेकिन जब नवाज की मां वरूण को नवाज के पार्टनर का नाम और पता ठिकाना बताने का वायदा करती है तो वरूण माफी नामा लिख देता है। नवाज जेल से रिहा हो जाता है। वह रिहा हो कर विनय पाठक के होटल पहुंचता है जहां उसे पता चलता है कि विनय पाठक और उसकी पत्नी राधिका आप्टे पांच दिन से गायब हैं। नवाज के वहां पहुंचने से पांच दिन पहले वरूण विनय पाठक और उसकी पत्नी का मर्डर कर लाशें जमीन में गाड़ चुका होता है। बैंक डकैती का जो ढाई करोड़ रूपया नवाज को मिलना होता है वह वरूण ले जाता है। नवाज वरूण से मिलने जाता है तो वरूण उसे बता देता है कि उसने नवाज के दोस्त और उसकी बीबी को मार कर कहां गाड़ा है। नवाज उसे बताता है कि उसकी पत्नी पर गोली विनय ने नहीं नवाज ने चलायी थी। इसके बाद नवाज पुलिस में समर्पण कर देता है और विनय पाठक के कत्ल का इल्जाम अपने सिर ले लेता है। तब नवाज की प्रेमिका हुमा कुरैशी वरूण के पास पहुंचती है और कहती है नवाज ने तुम्हें माफ करके जीवन जीने का दुसरा मौका दे दिया है। लेकिन इस मौके का तुम करोगे क्या? अब तो तुम्हारा बदला भी पूरा हो गया है। इसके बाद पिक्चर समाप्त हो जाती है। 
निर्देशक: ़श्री राम राघवन
कलाकार: वरूण धवन, हुमा कुरैशी, यमी गौतम, नवाजुद्दीन
संगीत: सचिन-जिगर





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