फिल्म समीक्षा
वी आर फैमिली: रियलिटी पर भारी फैंटेसी
धीरेन्द्र अस्थाना
करण जौहर के प्रोडक्शन की नयी फिल्म ’वी आर फैमिली‘ एक बेहतरीन फटकथा है, जिसमें एक असंभव इच्छा फैंटेसी की तरह रहती है। हॉलीवुड की हिट फिल्म ’स्टेपमॉम‘ पर आधारित ’वी आर फैमिली‘ का यथार्थ भारतीय समाज और सच्चाई को अभिव्यक्त नहीं करता, इसलिए इस फिल्म का देश के बड़े दर्शक वर्ग के साथ जुड़ाव संभव नहीं लगता। एक मां के जीवित रहते बच्चों के लिए दूसरी मां लेकर आने की अवधारणा फैंटेसी हो सकती है रियलिटी नहीं। लेकिन ’वी आर फैमिली‘ में यह अवधारणा ही रियलिटी है। हो सकता है कि आज के उत्तर आधुनिक समय का जो सिनेमा है उसके जादुई यथार्थवाद का यह समकालीन आईना हो। लेकिन थोड़ी देर के लिए अगर हम यह मान लें कि सिनेमा समाज और यथार्थ वगैरह से अलग एक स्वायत्त इकाई या कृति है तो ’वी आर फैमिली‘ की कुछ विशेषताओं पर चर्चा की जा सकती है।
पहली विशेषता। यह काजोल की फिल्म है और काजोल के अविस्मरणीय अभिनय के लिए हमेशा याद की जाएगी। एक मरती हुई मां की इच्छा कि उसके तीन अबोध बच्चों को संभालने कोई दूसरी औरत आ जाए। लेकिन जब दूसरी औरत बच्चों के साथ दोस्ती तथा अपनत्व की पगडंडी पर आगे बढ़ने लगे तो मूल मां के भीतर ईर्ष्या का ज्वालामुखी धधकने लगे.. इस कठिन और जटिल मनोभाव को काजोल ने लाजवाब और सहज अभिव्यक्ति दी है। तलाकशुदा होने के बावजूद पति अर्जुन रामपाल को लेकर मन में मचलती मंद-मंद तड़प को वह सार्थक ढंग से सामने लाती है। दूसरी विशेषता। फिल्म की पटकथा बेहद कसी हुई और संवाद मर्मस्पर्शी तथा धारदार हैं। अपने आरंभ होने के साथ ही फिल्म में तनाव की रचना होने लगती है। यह तनाव पूरी फिल्म को बांधे और साधे रखता है। आमतौर पर चुलबुली और शोख युवती का किरदार निभाने वाली करीना कपूर ने इस फिल्म में जैसा रोल किया है वह अवसाद और दुख के अटूट अकेलेपन को पैदा करता है। दो स्त्रियों के विकट संघर्ष में फंसे निहत्थे और विकल्पहीन व्यक्ति की भूमिका को अर्जुन रामपाल ने गजब ढंग से निभाया है। सबसे बेमिसाल है फिल्म के तीन बच्चों का सहज और भावप्रवण अभिनय। कई स्थलों पर फिल्म रुलाती भी है इसलिए इसे मनोरंजन के लिए तो हर्गिज नहीं देखा जा सकता। लेकिन अगर आप एक सौतेली मां और दूसरी औरत के दर्द से दो-चार होना चाहते हैं तो ’वी आर फैमली‘ एक उम्दा अनुभव है। लेकिन बॉलीवुड में बीमारी लौट आयी है क्या? पिछले हफ्ते ही कैंसर से पीड़ित जॉन अब्राहम की ‘आशाएं‘ देखी थी। इस हफ्ते काजोल!
निर्माता: करण जौहर
निर्देशक: सिद्धार्थ मल्होत्रा
कलाकार: अर्जुन रामपाल, काजोल, करीना कपूर, आंचल मुंजाल, दिया सोनेचा, नोमिनाथ गिन्सबर्ग
संगीत: शंकर-अहसान-लॉय
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Saturday, September 4, 2010
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