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Saturday, June 5, 2010

राजनीति

फिल्म समीक्षा

विराट और भव्य ‘राजनीति‘

धीरेन्द्र अस्थाना

प्रकाश झा की नयी फिल्म ‘राजनीति‘ सब लोगों को देखनी चाहिए। उन्हें भी जो कहते हैं कि हमें राजनीति से कोई लेना देना नहीं। हम जो गेहूं का दाना घर में लाते हैं, वह भी राजनीति से अछूता नहीं है फिर कोई मनुष्य राजनीति से अलग कैसे रह सकता है। फिल्म ‘राजनीति‘ भी हमें यही संदेश देती है कि हम चाहें या न चाहें लेकिन राजनीति हमें पग-पग पर न सिर्फ संचालित करती है बल्कि भ्रष्ट भी करती है। राजनीति ने मनुष्य के कोमलतम रिश्तों में भी सेंध लगा दी है और मानवीयता तथा संवेदनशीलता जैसे पवित्र तथा अनिवार्य रूप से बेहतरीन गुणों को एक बड़े बाजार में धंधे पर बिठा दिया है। एक विराट और भव्य फिल्म बनाई है प्रकाश झा ने। यह उनके अब तक के जीवन का सबसे कामयाब, शानदार, जानदार काम है। अब तक की सबसे दिव्य, बौद्धिक उपलब्धि। यह फिल्म देख कर पता चलता है कि रणबीर कपूर, कैटरीना कैफ, मनोज बाजपेयी और अर्जुन रामपाल के भीतर जो प्रतिभा मौजूद है उसे अभी और और खोजा जाना बाकी है। अजय देवगन ने तो लीक से हट कर किए जीवंत अभिनय से अपने सामने ही चुनौती पेश कर दी है। नाना पाटेकटर और नसीरुद्दीन शाह मंजे हुए अभिनेता हैं। उनके होने ने फिल्म को गरिमा दी है। नाना पाटेकर का चरित्र पूरी फिल्म को अनवरत गति देने का काम भी करता है। इस बात को बहुत ज्यादा प्रचारित किया गया है कि ‘राजनीति‘ की प्रेरणा ‘महाभारत‘ से ली गयी है लेकिन ऐसा कुछ बहुत ठोस नहीं है। प्रकाश झा की फिल्म में महाभारत के कुछ चरित्रों की छायाएं जरूर दिखती हैं लेकिन उनका समय और संदर्भ वर्तमान यथार्थ से जुड़ा हुआ है। फिल्म के अंत में जब कैटरीना कैफ के व्यक्तित्व का राजनीतिकरण होता है तब हम उनके भीतर जरूर एक वर्तमान राजनैतिक व्यक्तित्व की छवियां तलाश सकते हैं लेकिन यह सब एक ‘सिनेमाई पाठ‘ की वजह से हुआ है। मनोज बाजपेयी ने करिश्माई काम किया है। कह सकते हैं कि ‘राजनीति‘ ने उन्हें नया जीवन दिया है। सत्ता की बनैली और दुर्दांत राजनीति में रिश्ते-नाते कैसे धू-धू कर के जल जाते हैं, इसका एक ठोस, अर्थपूर्ण और यथार्थवादी विमर्श पेश किया है प्रकाश झा ने। काॅमेडी के बाजार में एक सार्थक हस्तक्षेप। गीत-संगीत और संवाद भी रचनात्मक हैं।

निर्देशक: प्रकाश झा
कलाकार: नाना पाटेकर, नसीरुद्दीन शाह, अजय देवगन, रणबीर कपूर, कैटरीना कैफ, मनोज बाजपेयी, अर्जुन रामपाल आदि।
संगीत: प्रीतम चक्रवर्ती, आदेश श्रीवास्तव, शांतनु मोईत्रा।