Friday, October 10, 2014

फाइंडिंग फेनी

फिल्म समीक्षा

जटिल प्यार की फाइंडिंग फेनी

धीरेन्द्र अस्थाना

कला सिनेमा के दायरे में बनने वाली फिल्मों जैसी है फाइंडिग फेनी। बेजोड़ एक्टरों की कुछ अलग किस्म का अनुभव दिलाने वाली लेकिन ठीक ठाक सी फिल्म। ऐसी नहीं कि उसे यादगार फिल्मों की श्रेणी में रखा जा सके। आम दर्शक सोच समझ कर फिल्म देखने जाएं क्योंकि इस फिल्म को बनाते समय दर्शकों की तरफ पीठ कर ली गयी थी। दरअसल यह फिल्म एक अनकहे प्यार की तलाश करने वाली यात्रा फिल्म है जिसकी संरचना बहुत जटिल और अभिव्यक्ति बेहद गूढ़ है। फिल्म इतनी स्लो है की बौद्विक दर्शक भी बोर होने के कगार पर जा खड़े होते हैं।फिल्म की एक मात्र उपलब्धि इसके कलाकार और उनका काम है। नसीरूद्दीन शाह, डिंपल कपाडिया, पंकज कपूर, दीपिका पादुकोन, अर्जुन कपूर। एक सीन की एंट्री में रणवीर सिंह भी। इतने मंजे हुए कलाकारों का काम एक बार तो देखना बनता है। अभिनय के मोर्चे पर ही फिल्म को सफल भी कहा जा सकता है। ये सब लोग गोवा के एक छोटे से, गुमनाम से, उंधते रहते गांव में बड़ा नीरस और एकाकी जीवन बिता रहे हैं। नसीर एक अवकाश प्राप्त पोष्टमास्टर है। पंकज कपूर एक सनकी किस्म का पेंटर है जिसे लगता है कि उसका काम विश्व स्तर का है। दीपिका और डिंपल सास बहु हैं। अर्जुन कपूर दीपिका का दोस्त है जो दीपिका के शादी कर लेने के कारण रूठ कर मुंबई चला गया था और पूरे छह साल बाद लौटा है। दीपिका शादी करने के कुछ ही मिनट बाद विधवा हो गयी थी क्यों कि पैसे बचाने के लिए डिंपल ने केक में शक्कर के कंचे लगाने के बजाए प्लास्टिक के कंचे लगा दिए थे। इस केक को खा कर डिंपल का लड़का गला रूंधने से मर जाता है। एक सुबह इस गांव में तब हलचल मच जाती है जब नसीर को अपने दरवाजे पर एक खत मिलता है। यह खत नसीर ने अपनी गर्लफ्रेंड फेनी को लिखा था जिसमें उसे विवाह के लिए प्रपोज़ किया था। पूरे छियालीस साल बाद यह खत बंद का बंद वापस आ गया है। यानी नसीर का प्रणय निवेदन फेनी तक पहुंचा ही नहीं। और नसीर ने पूरी उम्र कुंवारा रह कर फेनी की याद में गुजार दी। नसीर अपनी यह मर्मातंक त्रासदी दीपिका से शेयर करता है और दीपिका के अनुरोध पर सब लोग पंकज कपूर की खटारा कार में बैठ कर फेनी को खोजने गोवा की यात्रा पर निकल पड़ते हैं। इस यात्रा में होने वाले खट्टे मीठे दुखद अनुभवों पर ही पूरी फिल्म की पटकथा खड़ी की गयी है। फिल्म में कहीं कहीं कॉमेडी का दामन भी थामा गया है जिसके चलते फिल्म की गंभीरता को गहरा आधात पहुंचा है। इस यात्रा में एक दूसरे के रहस्य और अंतरमन भी उजागर होते चलते हैं। अंत में वापस अपने गांव लौट कर डिंपल और नसीर तथा अर्जुन और दीपिका शादी कर लेेेते हैं। जिस फेनी की खोज में ये लोग निकले थे वह एक शोक यात्रा में इन्हें एक ताबूत में चिरनिद्रा में लीन मिल जाती है। हो सकता है कि फिल्म कोई नेशनल अवार्ड मिल जाए। 
निर्देशक : होमी अदजानिया
कलाकारः नसीरूद्दीन शाह, पंकज कपूर, डिंपल कपाडिया, दीपिका पादुकोन, अर्जुन कपूर, रणवीर सिंह
संगीत : सचिन-जिगर




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