Wednesday, August 27, 2014

हमशकल्स



फिल्म समीक्षा

हमशकल्स का हास्य

धीरेन्द्र अस्थाना


साजिद खान की नयी फिल्म हमशकल्स ढेर सारी सिचुएशंस, ढेर सारे चुटकुलों, ढेर सारे कलाकारों के बावजूद एक ठीकठाक कॉमेडी फिल्म बनने में कामयाब नहीं हो पायी है। हमशकल्स के हास्य ने मन में इतनी खीज पैदा की कि दर्शक फंस गये रे ओबामा बोलते नजर आये। कुछ इंटरवल से पहले ही फिल्म छोड़ कर चले गये। कुछ इंटरवल के कुछ देर बाद गये। कुछ एसी की ठंडी ठंडी हवा में सो कर पैसा वसूल करते पाये गये। फिल्म में एक सीन है। पागलखाने का जुलमी जेलर सैफ अली खान और रितेश देशमुख को कुर्सियों से बांध कर कहता है-अब मैं तुम्हें ऐसा टार्चर दुंगा कि तुम कांप जाओगे। फिर वह टीवी, रिमोट कंट्रोल और डीवीडी मंगाता है और बोलता है-अब मैं तुम्हें साजिद खान की हिम्मतवाला दिखाने जा रहा हूं। एक तरीके से यह खुद पर हंस कर शहीद होने जैसी भंगिमा है। इस संवाद को इसतरह भी बदल सकते हैं- अब मैं तुम्हें साजिद खान की हमशकल्स दिखाने जा रहा हूं। अतीत के हैंगओवर से बाहर निकलो यारो। अब हिंदी सिनेमा का दर्शक छठे सातवें दशक वाला मासूम और नासमझ दर्शक नहीं है। वह कंप्यूटर कं्राति के विस्फोट के बाद वाले चमत्कारी और ज्ञानवान वाले समय में बैठा हुआ है। उसे कॉमेडी के नाम पर कुछ भी आंय बांय शांय दिखा कर बहकाया नहीं जा सकता। माना कि आज भी दर्शकों का एक बड़ा वर्ग गंभीर सिनेमा से कन्नी काटता है और सिनेमा हॉल में केवल हंसने हंसाने के लिए जाना चाहता है। लेकिन हास्य तो ठीक से क्रियेट करो। सिनेमा का एक फंडा यह भी समझ में नहीं आता कि जिन एक्टरों के खाते में एक नहीं अनेक बेहतर फिल्में दर्ज हैं वे ऐसी उटपटांग फिल्में क्यूं कर लेते हैं? पैसे के लिए? पर पैसा तो रितेश देशमुख के पास भी बहुत है और सैफ तो छोटे नवाब हैं। आमिर खान कैसे खराब फिल्मों को ठुकरा देते हैं? बहरहाल, साजिद खान ने अपने इस भानुमति के कुनबे में सैफ रितेश और राम कपूर के तीन तीन हमशकल मौजूद कर कॉमेडी का किला खड़ा करने की कोशिश की है जो जरा ही देर में ताश के पत्तों की तरह ढह जाता है। बची रह जाती है खीज, उकताहट और हताशा। इस वर्ष की पहली सबसे सुपर फ्लॅाप फिल्म का एवार्ड हमशकल्स को देेेने का विचार भी कोई चैनल करे तो हताशा कुछ कम हो सकती है। फिल्म में कोई कहानी नहीं है इस लिए कहानी पर कैसे बात करें? हां नशा करने वालों के लिए इसमें एक नया संदेश यह है कि कोकिन और बोदका के परांठे बना कर लोगों को मस्ती का एक बड़ा डोज दिया जा सकता है। बिपाशा, ईशा और तमन्ना इस फिल्म में क्यों हैं यह तो खुद उन्हें ही अपने से पूछना चाहिए। फिल्म के गाने जरूर सुनने में अच्छे लगते हैं। शायद इसी तरह की फिल्मों को मुख्यधारा के सिनेमा में माइंडलेस कॉमेडी कहा जाता है। फिल्म देखने का एक मात्र यही कारण गिनाया जा सकता है।

निर्देशक : साजिद खान
कलाकारः सैफ अली खान, रितेश देशमुख, राम कपूर, बिपाशा बसु, तमन्ना, ईशा गुप्ता, दर्शन जरीवाला
संगीत : हिमेश रेशमिया






No comments:

Post a Comment