Monday, May 3, 2010

हाउसफुल

फिल्म समीक्षा

हाउसफुल कॉमेडी से फुल

धीरेन्द्र अस्थाना

निर्देशक साजिद खान ने कुछ दिन पहले कहा था - ‘मैं इस बात को नहीं मानता कि सिनेमा समाज को बदल सकता है। हां मैं यह जरूर मानता हूं कि सिनेमा समाज को खुश रखने का काम कर सकता है।‘ सार्थक, या अर्थपूर्ण या संदेशपरक सिनेमा के समर्थक इस वक्तव्य से असहमत हो सकते हैं लेकिन हकीकत यही है कि बहुत लंबे समय के बाद सिनेमाघरों में भीड़ उमड़ी थी। लंबी कतारों में लग कर लोग हंसी-खुशी अपना पर्स ढीला कर रहे थे। इस भीड़ में बड़ा प्रतिशत ‘युवाओं‘ का था जो फिल्म देखने के दौरान लगातार खिलखिला रहा था, तालियां बजा रहा था और सीट पर उछला पड़ रहा था। एकदम किसी मेले-ठेले का खुशनुमा माहौल था सिनेमा हॉल के भीतर। दर्शक पर्दे पर टकटकी लगाये अक्षय कुमार, लारा दत्ता, रीतेश देशमुख, दीपिका पादुकोन, बोमन ईरानी, रणधीर कपूर, जिया खान, चंकी पांडे और अर्जुन रामपाल का शानदार-जानदार जलवा देख रहे थे। मौज-मजा-रोमांस, हंसी, इमोशन, नाच-गाना अर्थात सौ प्रतिशत मनोरंजन से लबरेज फिल्म है ‘हाउसफुल।‘ सबका पैसा वसूल। दर्शक का, निर्माता का, निर्देशक का और कलाकारों का भी। ‘माइंडलेस काॅमेडी‘ का अदभुत उदाहरण। कहानी का आइडिया भी अनूठा है। महाराष्ट्र में अनलकी व्यक्ति या बैड लक के लिए एक शब्द प्रचलित है ‘पनौती।‘ तो अक्षय कुमार का रोल एक ‘पनौती‘ जैसा है। वह जहां जाता है चीजें बिगड़ जाती हैं। उसके आगे आगे चलता है उसका दुर्भाग्य। इसी केंद्रीय विचार के चारों तरफ विभिन्न हास्य प्रसंग, उप कथाएं और ‘काॅमिक सिचुएशन्स‘ गूंथ कर हंसी-ठट्ठे का गुलदस्ता तैयार किया गया है। और जैसा कि हिंदी के कमर्शियल सिनेमा में होता है तमाम तरह की बाधाएं आसानी से पार करते हुए नायक-नायिका मिल जाते हैं और फिल्म का ‘हैप्पी एंड‘ हो जाता है। अगर आप सिनेमा से कोई उम्मीद नहीं रखते और उसे हंसने-हंसाने का तमाशा भर मानते हैं तो यह फिल्म तुरंत देख लीजिए। इटली और लंदन के सुंदर दृश्यों तथा बेहद कम कपड़ों में युवतियों के मादक नृत्य फिल्म की अतिरिक्त विशेषता हैं। शंकर-अहसान-लॉय का संगीत कानों को अच्छा लगता है। फिल्म की बॉक्स ऑफिस सफलता तय है। लगता है आम दर्शकों की अदालत में कॉमेडी ही सरताज है।

निर्माता: साजिद नाडियाडवाला
निर्देशक: साजिद खान
कलाकार: अक्षय कुमार, दीपिका पादुकोन, रितेश देशमुख, लारा दत्ता, बोमन ईरानी, रणधीर कपूर, जिया खान, अर्जुन रामपाल
संगीत: शंकर-एहसान-लॉय

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