फिल्म समीक्षा
सलमान का नया अवतार: वांटेड
धीरेन्द्र अस्थाना
बहुत दिनों के बाद सिनेमाघरों में दर्शकों का जुनून और भागीदारी देखने को मिली। सहारा वन मोशन पिक्चर्स और बोनी कपूर की संयुक्त फिल्म ‘वांटेड‘ आने वाले दिनों में और ज्यादा भीड़ बटोरेगी। खतरनाक खून खराबे के बीच निर्विकार भाव से घटती सलमान खान-आयशा टकिया की प्रेम कहानी बहुत दिलचस्प और ताजगी भरी है। रोमांस और एक्शन सलमान की प्रिय अभिव्यक्तियां हैं लेकिन ‘वांटेड‘ में ये दोनों अभिव्यक्तियां शिखर पर हैं। तीन घंटे लंबी फिल्म में एक पल भी ऐसा नहीं आता कि बोरियत का अहसास हो। पूरी तरह एक्शन पैक्ड फिल्म है। फिल्म के निर्देशक प्रभु देवा हैं इसलिए फिल्म में डांस के नये नये आयाम और स्टेप्स भी देखने का सुख जुड़ जाता है। फिल्म का संपादन बहुत स्तरीय और कसावट लिये हुए है। एक भी फ्रेम ढीला-ढाला या अप्रासंगिक नहीं है। इसके लिए संपादक दिलीप देव को बधाई देनी होगी कि इतनी लंबी फिल्म में भी उन्होंने कोई झोल नहीं रहने दिया है। फिल्म का गीत-संगीत भी दिलकश और कर्णप्रिय है। सलमान के खतरनाक स्टंट और फाइट दृश्यों पर दर्शक जिस तरह ताली और सीटी बजा रहे थे वह युवाओं में उनकी लोकप्रियता का प्रतीक है। फिल्म के अंतिम दृश्य में जब अपनी जलती हुई शर्ट उतार कर सलमान अपना दमकता चमकता गठीला जिस्म दिखाते हैं और गुंडों पर कहर बन कर टूटते हैं उस वक्त तो युवाओं का समूह कुर्सियों से खड़ा होकर नाचने लग जाता है।
फिल्म के खुशगवार डांस आइटम में गोविंदा, अनिल कपूर और प्रभु देवा भी डांस के जलवे दिखाते हैं। इससे फिल्म की स्टार वेल्यू बढ़ गयी है। फिल्म में विनोद खन्ना भी अपने सशक्त अंदाज में मौजूद हैं। फिल्म का रहस्य अंत तक बरकरार रहता है। पैसा लेकर किसी का भी बर्बरता पूर्वक मर्डर करने वाले सलमान अंत में देशभक्त पुलिस आॅफीसर निकलते हैं जो अंडरवल्र्ड के खतरनाक गुर्गों का सफाया करने के काम में लगे हैं। विनोद खन्ना उन्हीं के पिता हैं जो इंटरनेशनल डाॅन गनी भाई के हाथों मारे जाते हैं। जाहिर है, अब गनी भाई को सलमान तड़पा तड़पा कर मारते हैं। दक्षिण के प्रसिद्ध कलाकार प्रकाश राज ने माफिया डाॅन के रूप में यादगार और अलहदा किरदार निभाया है। गोविंद नामदेव और महेश मांजरेकर ने अपने पुलिसिया चरित्रों के साथ न्याय किया है। तनाव, मारधाड़, नाच-गाना, मौज-मजा, रोमांस और मस्ती का एक जीवंत गुलदस्ता जैसी है ‘वांटेड‘ जिसे शुद्ध मनोरंजन की दृष्टि से बनाया गया है। अपने उद्देश्य में फिल्म सफल है। लंबे समय बाद आयशा टकिया ने भी कुछ कर दिखाने का प्रयास किया है। फिल्म में कहीं कहीं हास्य के क्षण भी हैं, जो गुदगुदाते हैं और फिल्म में ‘रिलीफ‘ की तरह आते हैं।
निर्माता: सहारा वन मोशन पिक्चर्स - बोनी कपूर
निर्देशक: प्रभु देवा
कलाकार: सलमान खान, आयशा टकिया, महेश मांजरेकर,, प्रकाश राज, विनोद खन्ना, गोविंद नामदेव, असीम मर्चेन्ट, महक चहल
संगीतकार: साजिद-वाजिद
Saturday, September 19, 2009
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अस्थाना जी,
ReplyDeleteआपका कथन सही मान कर हम भी इस फ़िल्म को ज़रूर देखेंगे............
आपने बहुत ही रोचक ढंग से समीक्षा की है..........
अभिनन्दन !
Dekhenge jaroor ..samiksha achchi lagi..aabhar.
ReplyDeleteसमीक्षा पढ़ने के लिए धन्यवाद। कृपया अपने मित्रों से भी हर शनिवार पांच बजे फिल्म समीक्षा पढ़ने को कहें।
ReplyDeleteI like to the film follow..coz after read we can decide about moovie...
ReplyDeleteअच्छी लगी समीक्षा.
ReplyDeleteSir,Is baare me mujhe Atul kushwaha ne bataya.wo apke bare me mujhse hamesha tareef karta hai.sameeksha padhi to wakai laga ki rochak shaili hai.film to dekhenge....
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