Monday, February 9, 2009

फिल्म समीक्षा देव डी

देवदास की नयी व्याख्या है ‘देव डी‘

धीरेन्द्र अस्थाना

जब बहुत पहले खबर आयी थी कि शरत बाबू के अमर चरित्र देवदास पर युवा फिल्मकार अनुराग कश्यप भी फिल्म बना रहे हैं, तभी अनुमान हो गया था कि कुछ धारा के विरुद्ध होने वाला है। लीक से अलग हट कर चलने वाले प्रयोगधर्मी अनुराग ने ‘देव डी‘ में देवदास की एक नयी व्याख्या पेश की है। दिक्कत यह है कि मुख्य धारा या व्यावसायिक सिनेमा के फिल्मकारों ने कचरा सिनेमा बना-बना कर दर्शकों की चेतना इतनी कुंद कर दी है कि सिनेमा का बड़ा दर्शक वर्ग आज भी अच्छे सिनेमा से थोड़ा दूर-दूर ही रहता है। लेकिन खुशी की बात है कि अनुराग कश्यप जैसे जिद्दी लोग सिनेमा को नया अर्थ, नयी ऊर्जा और नयी सोच देने में जुटे हुए हैं। जाहिर है कि ‘देव डी‘ को बहुत बड़ा दर्शक वर्ग नहीं मिलेगा लेकिन जो भी व्यक्ति एक बार ‘देव डी‘ देखने जाएगा वह देवदास का नया अवतार देखने का अनुभव पा लेगा। यह शरत बाबू का नहीं अनुराग कश्यप का देवदास है जो दिल्ली के यथार्थ और अराजकता के बीच बरबाद होते-होते बच जाता है।
अनुराग ने शरतबाबू की कथा को आधुनिक स्पर्श देकर नये तेवर और कलेवर में रचा है। फिल्म की मूूल कहानी से अनुराग ने कोई छेड़छाड़ नहीं की है। पात्रों के नाम भी वहीं हैं - पारो, चंद्रमुखी, चुन्नी बाबू और देव। ये सब लोग दिल्ली में रहते हैं और दिल्ली वाली खुली तथा बेधक भाषा में बर्ताव करते हैं। यहां लिखे न जा सकने वाले लेकिन दिल्ली की गलियों में खुलेआम सुने जा सकने वाले संवादों के कारण ही संभवतः फिल्म को ‘ए‘ सर्टिफिकेट मिला है।
अनुराग ने ‘देव डी‘ में एक थीसिस यह दी है कि देव ‘नारसिसस‘ है यानी ऐसा शख्स जो संसार में किसी से प्यार नहीं करता, जो सिर्फ खुद से मोहब्बत करता है। और इसीलिए देव की दोनों स्त्रियों-पारो और चंद्रमुखी-से अनुराग ने यह संवाद कहलवाया भी है। लेकिन अपनी ही इस ‘थीसिस‘ की ‘एंटी थीसिस‘ पेश करते हुए वह देव को चंद्रमुखी का प्रेम स्वीकार करते दिखा देते हैं। यानी देवदास ‘नारसिसस‘ नहीं था। अनुराग का देव पारो के प्यार के गम में शराब पी कर खून की उल्टियां करता युवक नहीं है। वह इस रास्ते पर थोड़ी देर के लिए जाता दिखता है लेकिन सामाजिक यथार्थ के चाबुक खा-खाकर उसे ‘ज्ञान‘ मिल जाता है कि यह समय किसी एक प्यार में शहीद होने का हर्गिज नहीं है। इस एक पंक्ति के दर्शन को अनुराग ने अपने प्रयोगधर्मी अंदाज में परदे पर उतारा है। बासी विषयों और फार्मूलों से ऊब चुके दर्शकों के लिए ‘देव डी‘ एक नया आस्वाद लायी है। अभय देओल स्टार भले न बने हों लेकिन वह लगातार बेहतर अभिनय की सीढ़ियां चढ़ रहे हैं। फिल्म की दोनों नयी अभिनेत्रियों ने भी उम्मीद जगायी है।

निर्माता: रोनी स्क्रूवाला (यूटीवी मोशन पिक्चर्स)
निर्देशक: अनुराग कश्यप
कलाकार: अभय देओल, माही गिल, कलकी, परख मदान
संगीतकार: अमित त्रिवेदी
गायक: दस (आजकल दस से कम गायक नहीं होते)

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