Thursday, December 18, 2014

एक्शन जैक्सन

फिल्म समीक्षा
एक्शन जैक्सन केवल एक्शन
धीरेन्द्र अस्थाना
पता नहीं दर्शकों को कैसे पता लग जाता है कि कौन सी फिल्म देखनी है और कौन सी नहीं। वरना तो जितना इस फिल्म का प्रचार हुआ है उसे देख कर लग रहा था कि अजय की यह फिल्म कहीं उनकी ही सुपर हिट फिल्म सिंघम का रिकॉर्ड न तोड़ दे। मगर अजय देवगन जैसा आजमाया हुआ एक्शन स्टार, सुपर हिट सोनाक्षी और प्रभु देवा जैसे हिट निर्देशक के बावजूद दर्शकों ने फिल्म को ठुकरा दिया। कुल तीस चालीस लोग अपने साथ यह एक्शन पैक्ड नाटक देखने पहुंचे थे। दरअसल दिक्कत यह है कि बार बार यह लिखने के बावजूद कि सिनेमा की सफलता के लिए एक अदद अच्छी और तार्किक कहानी का होना बहुत जरूरी है, निर्माता निर्देशक बस कहानी पर ही ध्यान नहीं देते। उनकी लोकेशन लाजवाब, उनका बजट बेमिसाल, उनका गीत संगीत धमाल। गायब है तो सिर्फ एक अच्छी और थोड़ी सी नयी कहानी। एक्शन जैक्शन में तो नयी या अच्छी क्या कहानी ही नहीं है। पूरी फिल्म आरंभ से अंत तक सिर्फ मारधाड से भरी है। इंटरवल के बाद थोड़ा सा कॉमिक रिलीफ दिया गया है जो बहुत बेतुका है और फिल्म की थोड़ी बहुत लय को भी गड़बड़ा देता है। फिल्म की सबसे बड़ी विशेषता उसके गाने और हिमेश रेशमिया का संगीत है। सभी गाने बहुत पहले ही हिट हो चुके हैं। हिमेश को सिर्फ संगीत में ही रहना चाहिए। वही उनका असली मुकाम है। बड़े ही अजीबो गरीब चेहरों वाले खलनायकों को तो सिनेमा वाले पकड़ ही लाते हैं लेकिन इस बार मनस्वी ममगांई नाम की जिस लड़की को खलनायिका के रूप में उतारा गया है वह काबिले तारीफ है। वह अपने लुक से ही नहीं अपने पूरे हाव भाव से भी वैंप लगती है। डर है कि कहीं इस नयी लड़की को अब सिर्फ ऐसे ही रोल ना ऑफर होने लगें। सोनाक्षी सिन्हा को देखकर अजय देवगन का यह कहना कि जब जब पैंट उतारता हूं, सामने आ जाती है, बहुत भद्दा और अश्लील लगता है। इस डायलॉग को एवॉइड किया जा सकता था लेकिन सिनेमा जो ना कराए। सोनाक्षी ने अपने हिसाब से मनोरंजक काम किया है लेकिन वह फिर से मोटापे की तरफ बढ़ रही है। यमी गौतम के लिए ज्यादा स्पेस नहीं था। जितना था उसमें उसने अपना होना जस्टीफाई किया। अब बचे अजय देवगन। वह डबल रोल में हैं। दोनों गुंडे हैं। एक लोकल एक इंटरनेशनल। दोनों की जिंदगी में एक अदद लड़की आती है और दोनों अपराध की दुनियां से निकल कर साफ सुथरी जिंदगी बिताना चाहतें हैं। मगर ऐसा होता थोड़े ही है। एक बार जो अंधेरी गलियों में उतर गया उसका रौशन सड़क पर लौटना संभव ही नहीं है। एक अजय मुंबई का लोकल गुंडा है दूसरा अजय एशिया के सबसे बड़े डॉन का राइट हैंड है। दोनो को अपनी अपनी प्रेमिकाओं के लिए अच्छा आदमी बनना है लेकिन भाई लोग बनने ही नहीं देते। अब क्या करें। एक ही रास्ता है कि येन केन प्रकारेण जुर्म और जुल्म के सरदारों का सत्यानाश करो और फिल्म की हैप्पी एंडिंग को अंजाम दो। यही रास्ता इस फिल्म के लिए भी आजमाया गया है। डॉन का अंत होता है और दोनों देवगन अपनी अपनी प्रेमिकाओं के साथ प्यार की खुशनुमा गली में उतर जाते हैं। जो मारधाड और मारकाट के शौकीन हैं उनके लिए यह फिल्म टकाटक है। बाजार के खिलाफ जाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। 

निर्देशक: प्रभु देवा
कलाकारः अजय देवगन, यमी गौेतम, सोनाक्षी सिन्हा, मनस्वी ममगांई
संगीत: हिमेश रेशमिया



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