Saturday, January 12, 2013

मटरू की बिजली का मंडोला


फिल्म समीक्षा 

मटरू की बिजली का मंडोला

क्रांति का कॉमिक पाठ

धीरेन्द्र अस्थाना

कमर्शियल यानी मुख्य धारा के मसाला सिनेमा में सांस लेने की मजबूरी और दबाव के बावजूद कुछ फिल्मकार अपने मन की हसरत पूरी कर ही लेते हैं। विशाल भारद्वाज, तिग्मांशु धूलिया, सुधीर मिश्रा, अनुराग कश्यप, अनुराग बसु, फरहान अख्तर, संजय लीला भंसाली आदि ऐसे ही कुछ नाम हैं जो संदेश परक सिनेमा की अपनी जिद पूरी कर लेते हैं। कभी ये बॉक्स आफिस पर सफल हो जाते हैं तो कभी असफल। लेकिन सार्थक सिनेमा ऐसे ही फिल्मकारों की बदौलत बचा हुआ भी है। विशाल भारद्वाज भी अपने सिनेमा में कुछ कुछ प्रयोग करते रहते हैं। अपनी नयी फिल्म ‘मटरू की बिजली का मंडोला‘ में उन्होंने पहली बार कॉमेडी का दामन थामा है और क्रांति जैसे गंभीर कर्म का कॉमिक पाठ पेश कर दिया है। फिल्म की पृष्ठ भूमि हरियाणा की है और मुद्दा है जमीनों का अधिग्रहण। यानी गरीब नेतृत्वहीन किसानों से उनकी जमीन औने पौने दामों में खरीद कर वहां मल्टीप्लेक्स और शॉपिंग मॉल खड़े करने का हजारेदारों का इरादा। इस इरादे से लोहा लेने के लिए मटरू यानी उसी गांव का एक युवक इमरान खान छिप छिप कर माओ के नाम से किसानों के आंदोलन को लीड करता है और उसे गति देता है। गांव का सामंत पंकज कपूर है जिसके दो रूप हैं। एक शराब पीने से पहले वाला क्रूर और दंभी। दूसरा शराब पीने के बाद वाला नेक और दयालू। अनुष्का उसकी बेटी है जिसे यह नहीं पता कि उसे जीवन से क्या चाहिए? यह फिल्म इन तीनों लोगों के उन्मुक्त, जीवंत, सहज और बेमिसाल अभिनय लिए देखी जा सकती है। विशाल ने इन तीनों से जो काम लिया है उस ‘एक्टिंग मैथड‘ को समझने के लिए भी फिल्म देखनी चाहिए। लेकिन दिक्कत एक ही है कि जैसे अनुराग कश्यप की गंभीर फिल्म नो स्मोकिंग‘ दर्शकों के सिर के ऊपर से गुजर गयी थी वैसे ही ‘मटरू‘ भी ऊपर से न गुजर जाए। हास्य होने बावजूद फिल्म थोड़ी जटिल और उलझी हुई भी है। सामंतवादी-पूंजीवादी आचरण के खिलाफ एक जन आंदोलन को कॉमेडी का चोला देने का आइडिया भी समझ नहीं आया। इससे फिल्मकार के नेक इरादे पर आंच आती है। फिल्म का टाइटल सांग तो पहले ही सुपरहिट हो चुका है। बातचीत, संवादों और रोजमर्रा के जीवन में प्रयुक्त भाषा में हरियाणवी का ध्यान सभी कलाकारों ने सजग हो कर किया है लेकिन पूरी सहजता से। 

निर्देशक-लेखक: विशाल भारद्वाज 
कलाकार: इमरान खान, अनुष्का शर्मा, पंकज कपूर, शबाना आजमी, आर्य बब्बर 
गीत: गुलजार 
संगीत: विशाल भारद्वाज

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