Saturday, May 7, 2011

हॉन्टेड

फिल्म समीक्षा

डर की इमोशनल पटकथा: हॉन्टेड

धीरेन्द्र अस्थाना

छोटे बजट और नये चेहरों के साथ एक बेहतर फिल्म बनाने के लिए प्रसिद्ध विक्रम भट्ट इस बार ‘हॉन्टेड‘ लेकर आये हैं। यह डर की इमोशनल पटकथा है। यानी डर के अदृश्य द्वार के पार एक प्यार है जिसे ईविल (दुष्टता) के शिकंजे से मुक्ति दिलानी है। यह प्यार है नयी अभिनेत्री टीया बाजपेयी जो पिछले 80 साल से एक बंगले में चीख-तड़प रही है। उसकी आत्मा उसके रेपिस्ट प्रोफेसर की बुरी आत्मा के कब्जे में है जिसे टीया ने मार डाला था। टीया की अच्छी आत्मा को मुक्ति दिलाने के लिए नये नाम महाअक्षय के साथ मिथुन चक्रवर्ती के साहबजादे मिमोह उपस्थित हैं, न सिर्फ नये नाम बल्कि नये लुक के भी साथ। एक फकीर की सलाह पर महाअक्षय 80 साल पीछे के समय में लौटते हैं और सन् 1936 में जी रही टीया की जिंदगी में उतरते हैं। अब रेपिस्ट प्रोफेसर और टीया वाली पटकथा में महाअक्षय भी हैं जो टीया का प्रेम जीत चुके हैं। टीया को शैतानी साये से मुक्ति दिलाने के बाद महाअक्षय वापस उन्नीस सौ ग्यारह के समय में लौट आते हैं। अब उनके पैतृक बंगले से टीया की चीखें आनी बंद हो गयी हैं। एक अच्छी फैंटेसी रची है विक्रम ने जिसमें डर, प्यार और संस्पेंस का संतुलित कोलाज बनाया है। कुछ डर का माया लोक, कुछ थ्री डी फॉर्मेट का आकर्षण, ‘हॉन्टेड‘ को छोटे और मझोले शहरों में अच्छी ओपनिंग मिलने की खबर है। मुंबई में दर्शकों की संख्या ठीक-ठाक रही। अगर इसे हिट फिल्म नहीं कहेंगे तो फ्लॉप फिल्म भी नहीं कही जाएगी। केवल कहानी के दम पर खड़ी हुई फिल्म अपनी लागत से ज्यादा वसूल लेती है तो उसे सफल ही कहा जाएगा। शैतान से मुक्ति चाहने की तंत्र-मंत्र की प्रक्रिया के चलते फिल्म थोड़ी बोझिल और नाटकीय जरूर हो गयी है, लेकिन बांधे रखती है। चिरंतन भट्ट का संगीत फिल्म की कथा के अनुरूप है। फिल्म के दो गीत भावप्रवण और मर्म स्पर्शी हैं। सेट लगाकर और कैमरे के जरिए 1936 के समय को रिक्रिएट करना कामयाब रहा है। यूं तो पूरी फिल्म की सिनेमेटोग्राफी ही उम्दा है। हालांकि डरावनी फिल्में देख-देख कर दर्शक डरना छोड़ चुके हैं फिर भी विक्रम भट्ट की विशेषता है कि इस फिल्म में उन्होंने डर का एक विश्वसनीय मंजर रचने की सफल कोशिश की है। महाअक्षय और टीया दोनों का अभिनय सामान्य से अच्छा है लेकिन दोनों को और मेहनत करनी होगी। भावों की अभिव्यक्ति में महाअक्षय को कुछ और विविधता लानी होगी। फिल्म देखी जा सकती है।

निर्देशक: विक्रम भट्ट
कलाकार: महाअक्षय, टीया बाजपेयी, अचिंत कौर, आरिफ जकरिया, मोहन कपूर
गीत: शकील आजमी, जुनैद वसी
संगीत: चिरंतन भट्ट

1 comment:

  1. शुक्रिया।

    दुआ है कि नए अवतार व नए नाम से हमारे मिठुन दा के साहबजादे महाअक्षय का करियर बुलंदियों को छूए।

    - नीलम अंशु

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