Saturday, February 26, 2011

तनु वेड्स मनु

फिल्म समीक्षा

मजेदार मसालेदार ’तनु वेड्स मनु‘

धीरेन्द्र अस्थाना

कानपुर की चटपटी चुलबुली तनु और लंदन पलट शांत- शर्मीला मनु। इन दोनों के रोमांस में कॉमेडी का तड़का लगाकर ठेठ यूपी स्टाइल में एक मजेदार मसालेदार फिल्म बनाने की कोशिश की गयी है। जो अर्थपूर्ण फिल्में देखने के शौकीन हैं यह उनके मिजाज की फिल्म नहीं है। लेकिन जो हल्की-फुल्की, थोड़ी सी रोमांटिक, थोड़ी सी मजाकिया, जानदार संवादों वाली नाटकीय फिल्मों को देखने के आदी हैं, उन्हें यह फिल्म मनोरंजन के अच्छे अवसर प्रदान करती है। फिल्म की सिनेमेटोग्राफी बहुत यथार्थवादी और ‘लाइव’ है। फिल्म कानपुर, कपूरथला और दिल्ली में फिल्मायी गयी है। और यहां की अराजक, लापरवाह और निरंकुश जीवनशैली को छायांकन के जरिये दर्शाने में सफल हुई है। निर्देशक शुरू से अंत तक दर्शकों को बांधे रखने में सफल रहा है। लेकिन फिल्म का ‘अंत’ वह संभाल नहीं पाया है। तनु से शादी करने के लिए माधवन और जिमी शेरगिल दोनों का बारात लेकर आ जाना दर्शकों को एक ‘शॉक’ जरूर देता है, लेकिन पहले मरने मारने पर उतारू जिमी का बाद में एक डायलॉग बोलकर पलायन कर जाना अटपटा और नाटकीय हो गया है। जब जिमी को पहली बार पता चलता है कि जिस लड़की से वह शादी करने वाला है उसी लड़की से माधवन प्रेम करता है, ठीक उसी समय वह दोनों के बीच से हट जाता तो यह एक स्वाभाविक अंत होता और शालीन भी। लेकिन प्रेम कहानी का ऐसा अंत सैकड़ों लव स्टोरीज में दिखाया जा चुका है, इसलिए कुछ नया करने के चक्कर में थोड़ा सा ‘कन्फ्यूजिया’ गया है। सिगरेट और शराब पीने वाली, प्रेमी के नाम का ‘टेटू’ छाती पर गुदवाने वाली, अशोभन गालियां बकने वाली एक बेलौस, बिंदास और अपनी मर्जी का जीवन जीने वाली लड़की का किरदार निभाकर कंगना राणावत ने साबित किया है कि वह क्यों बिना किसी गॉड फादर के इंडस्ट्री में न सिर्फ जमी हुई है, बल्कि लगातार आगे भी बढ़ रही है। उसके अभिनय में एक आंच है, जिसकी तपिश निरंतर बढ़ती जा रही है। वह हिंदी फिल्मों का झोंका नहीं, स्थायी भाव बनने की दिशा में अग्रसर है। माधवन के अभिनय में एक सौम्य किस्म की गरिमा है, जो संजीव कुमार जैसी ऊंचाई की याद दिलाती है। संजीव कुमार एक बहुआयामी अभिनेता थे, जबकि माधवन ने उनके गरिमा वाले, शांत-सौम्य पहलू को पकड़ा है। यह फिल्म तीन कारणों से याद की जा सकती है। पहली इसकी सिनेमेटोग्राफी। दूसरा इसका गीत-संगीत पक्ष। और तीसरा इसके किरदारों का जीवंत और विश्वसनीय अभिनय। माधवन के दोस्त पप्पी के रोल में दीपक डोबरियाल ने भी शानदार काम किया है। भोजपुरी के स्टार हीरो रवि किशन का किरदार इसमें ‘फिलर’ जैसा है। उन्हें ऐसे रोल करने से इनकार करना चाहिए। जो भी हो एक स्वस्थ मनोरंजन के लिए फिल्म देखी जा सकती है।

निर्देशक: आनंद एल. राय
कलाकार: माधवन, कंगना राणावत, जिमी शेरगिल, रवि किशन, दीपक डोबरियाल, राजेन्द्र गुप्ता
गीत: राज शेखर
संगीत: क्रिस्ना
छायांकन: चिरंतन दास

1 comment:

  1. Yeh film abhi dekhi nahi hai. mera average jara kum hai phir bhi 3 ya 4 cinema ja kar aur 25/ 30 tv par dekh leta hoo.

    Par theek kaha........virodhi cheeje aapas me kheenchti hai......

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