Saturday, April 10, 2010

जाने कहां से आयी है

फिल्म समीक्षा

प्यार खोजने जाने कहां से आयी है

धीरेन्द्र अस्थाना

कुछ अलग हट कर बनीं बॉलीवुड की प्रेम कहानियों में ‘जाने कहां से आयी है‘ ने भी अपना नाम दर्ज कराने में कामयाबी पायी है। कहने को इसे रोमांटिक कॉमेडी कहा गया है लेकिन मूलतः यह एक ‘सीरियस लव स्टोरी‘ ही है। काॅमेडी का जामा पहना देने से प्यार मजाक नहीं हो जाता। और यही इस फिल्म की खूबसूरती तथा नया अंदाज है कि काॅमिक ताने-बाने में रखने के बावजूद मिलाप जवेरी (निर्देशक) प्रेम की तड़प, उसकी गहरी संवेदनशीलता और शाश्वत पवित्रता को कायम रखने में सफल हुए हैं। प्रेम की जो निश्छलता वह दिखाना चाहते थे वह बाकायदा न सिर्फ दिखती है बल्कि दिल में महसूस भी होती है। इस फिल्म ने रितेश देशमुख को यह जताने का नायाब मौका भी दिया है कि वह सिर्फ एक हंसने-हंसाने वाले काॅमिक एक्टर भर नहीं हैं। वह प्यार में डूबे एक संवेदनशील युवक का किरदार भी बेहद प्रभावी तरीके से निभा सकते हैं। इस फिल्म में उनके अभिनय के आयाम को विस्तार मिला है। उनके दोस्त के किरदार में विशाल मल्होत्रा ने भी अच्छा काम किया है। फिल्म के मेन रोल, एक सुपरस्टार के किरदार को रूसलेन मुमताज ने सहजता से निभाया है जबकि इसके भीतर ओवर एक्टिंग के खतरे मौजूद थे। फिल्म की मुख्य हीरोईन जैक्लीन फर्नांडिज भी बेहतर अभिनय कर लेती हैं। कई स्थलों पर उन्होंने दर्शकों के मर्म को छूने में सफलता पायी है। कुल मिला कर एक रोचक प्रेम कहानी है जिसे ‘टाइम पास‘ के लिए देखा जा सकता है। निर्देशक फराह खान को छोड़ कर बाकी किसी बड़े स्टार की दरकार नहीं थी। कोई भी स्टार फिल्म का हिस्सा नहीं लगता लेकिन फराह खान कहानी में फिट बैठती हैं।
रितेश देशमुख प्यार की खोज में भटकता युवा है। फिल्मों में थर्ड निर्देशक है। जैक्लीन वीनस से आयी है। प्यार की तलाश में भी और प्यार का अर्थ जानने भी। उसके ग्रह में बच्चे भी कंप्यूटर से पैदा होते हैं। उसके ग्रह के लोग प्यार, सेक्स, किस, फीलिंग्स के बारे में नहीं जानते। वह चाहती है कि रितेश उसे सुपर स्टार रूसलेन मुमताज से मिलवाये ताकि वह उसके मार्फत इन सब बातों के बारे में जानकर वापस अपने ग्रह लौट जाए। लेकिन होता उलटा है। प्यार की रोचक, काॅमिक यात्रा पर रितेश के साथ चलते चलते जैक्लीन को रितेश देशमुख से ही प्यार हो जाता है। रितेश को तो मन मांगी मुराद मिल जाती है। वह तो प्यार पाने के लिए भटक ही रहा था। हिंदी फिल्म है। अंत सुखद होना मजबूरी है। जैक्लीन अपने ग्रह वापस जाने के बजाय धरती पर रह जाती है और रितेश का घर बसाती है। वीनस पर जाता है रितेश का दोस्त विशाल। जैक्लीन की बहन के साथ। फिल्म का शीर्षक गीत कर्णप्रिय भी है और मधुर भी।

निर्देशक: मिलाप जवेरी
कलाकार: रितेश देशमुख, जैक्लीन फर्नांडिज, विशाल मल्होत्रा, रूसलेन मुमताज, सोनल सहगल
गीत: समीर
संगीत: साजिद-वाजिद

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