Monday, April 1, 2013

हिम्मतवाला


फिल्म समीक्षा

अस्सी का मसाला ‘हिम्मतवाला‘

धीरेन्द्र अस्थाना

अस्सी वाले दशक के आरंभ में एक फिल्म आयी थी हिम्मतवाला। उसके हीरो जितेन्द्र थे और फिल्म सुपर डुपर हिट हुई थी। जरा तीस साल पुराने समय में लौट कर देखें। थोड़ा सा रोमांस, काफी सा एक्शन, रिश्तों का उलटफेर, जमींदार का अत्याचार, भगवान का चमत्कार। यह बॉलीवुड का उन दिनों का मसाला था जो फिल्मों को हिट करवा देता था। निर्देशक साजिद खान ने उस समय और उस मसाले को दो हजार तेरह में क्रिएट किया है। देव डी, विकी डोनर या रॉक स्टार जैसी फिल्मों को पसंद करने वाले आज के युवा दर्शकों को अजय देवगन अभिनीत ‘हिम्मतवाला‘ थोड़ी अटपटी लग सकती है लेकिन फिल्म इस मायने में उल्लेखनीय है कि उसमें अस्सी के दशक का अभिनय स्टाइल, इमोशन, ड्रामा, समय और संस्कृति रेखांकित हुई है। अगर साजिद ने फिल्म की कहानी को थोड़ा आधुनिक स्पर्श या आयाम दिया होता तो नयी ‘हिम्मतवाला‘ भी बॉक्स आफिस पर धमाल कर सकती थी। पूरी फिल्म अजय देवगन, परेश रावल और महेश मांजरेकर के कंधों पर टिकी है और तीनों ने अपनी अपनी जिम्मेदारी सफलता से निभायी है। बहुत दिनों के बाद कोई हीरो (अजय देवगन) शेर से लड़ता हुआ दिखाया गया है। रामनगर नाम के गांव में शेरंिसंह (महेश मांजरेकर) का निरंकुश और जुल्मी साम्राज्य है। परेश रावल उसका साला, सहयोगी और सिपहसालार है। गांव के ईमानदार पंडित (अनिल धवन) को ये लोग चोरी के आरोप में फंसा देते हैं। पंडित आत्महत्या कर लेते हैं। जमींदार उनका घर जलवा देता है और पंडित की पत्नी जरीना वहाब तथा उनकी बेटी को गांव से निकाल देता है। पंडित का बेटा रवि (रितेश देशमुख) शहर चला जाता है। शहर में उसका दोस्त अजय देवगन है जो एक जांबाज और नामी स्ट्रीट फाइटर है। एक दिन रितेश को पता चलता है कि रामनगर में उसकी मां और बहन जिंदा हैं और बुरे हाल में हैं। रितेश और अजय दोनों गांव जाने का प्लान बनाते हैं लेकिन रितेश एक ट्रक एक्सीडेंट में मारा जाता है। अजय देवगन रवि बनकर गांव पहुंचता है और असली फिल्म यहीं से शुरू भी होती है। अजय गांव वालों को जमींदार के अत्याचार से बचाता है। जले हुए घर को फिर से बसाता है। मां और बहन को नया सम्मानजनक जीवन देता है लेकिन तभी एक घटना के कारण यह राज खुल जाता है कि अजय देवगन रवि नहीं है। इसके बाद बहुत सारा ड्रामा है जिससे रू-ब-रू होने के लिये फिल्म देखना ज्यादा बेहतर होगा। फिल्म की हीरोइन तमन्ना की काया तो बेहद खूबसूरत है लेकिन हिंदी फिल्मों में जमने के लिये खूबसूरत अभिनय की दरकार होती है। यह उन्हें जल्द ही समझ लेना होगा। फिल्म में दो दर्शनीय आइटम नंबर भी हैं।

निर्देशक: साजिद खान
कलाकर: अजय देवगन, तमन्ना, परेश रावल, महेश मांजरेकर, जरीना वहाब
संगीत: साजिद-वाजिद

2 comments:

  1. naach mein ajay devgan kamaal nahin dikhaa paaye , jeetendra kee tarah .

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  2. मित्रों, कल बहुप्रचारित फिल्म 'हिम्मतवाला' देखने का दुर्भाग्य प्राप्त हुआ. वाकई इसे फिल्म कहा जाना चाहिए...? पुरानी हिम्मतवाला की पेरोडी भी नहीं है यह.फिल्म हास्य नहीं पैदा करती, बल्कि खुद को हास्यास्पद बनाती है. हिन्दी सिनेमा इस स्तर पर पहुँच गया है...! हे दादा साहब फालके!

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