फिल्म समीक्षा
‘राज-3‘ में चलीं नफरत की आंधियां
धीरेन्द्र अस्थाना
निर्देशक विक्रम भट्ट अपनी नयी फिल्म ‘राज-3‘ में दर्शकों को कहीं-कहीं डराने में कामयाब हुए हैं। अच्छे ढंग से संपादित एक बेहतर हॉरर फिल्म है, जिसे फिल्म समझ कर ही देखा जाना चाहिए। आंखों के ऊपर से विज्ञान का चश्मा उतारकर थ्री डी चश्मा लगाएं और तब फिल्म देखें, ज्यादा मजा आएगा। पूरी फिल्म शुरू से अंत तक बांध कर रखती है। फिल्म में ब्लैक मैजिक और बुरी शक्तियों को स्थापित किया गया है और उनका तोड़ ईश्रीय शक्ति को बताया गया है, जो हिंदुस्तान की आदिकालीन मान्यता है। डॉक्टर भी ब्लैक मैजिक और भूत-प्रेत को मानने वाला है लेकिन जब फिल्म का आधार ही यह दुनिया है तो फिल्म को इस तरह देखें कि इस दुनिया को कितने दिलचस्प ढंग से फिल्माया गया है। फिल्म में नफरत की आंधियां चलती हैं, जिनका शिकार बनती है ईशा गुप्ता और माध्यम है इमरान हाशमी, जिसे बिपाशा बसु ने फिल्म इंडस्ट्री में नाम, शोहरत और पैसा दिया है। बिपाशा बसु अपने समय की सुपरस्टार है लेकिन एक नयी हीरोईन अपने टेलेंट और ग्लैमर से उसके साम्रज्य में सेंध लगा रही है। यह नयी हीरोईन ईशा गुप्ता है, जो रियल लाइफ में उसकी सौतेली बहन है। दोनों की मांएं अलग थीं लेकिन पिता एक था। ईशा के बढ़ते रथ को ध्वस्त करने के लिए बिपाशा बसु ब्लैक मैजिक का सहारा लेती है। तंत्र-मंत्र से सिद्ध किया पानी पिला-पिलाकर वह ईशा को पागल बनाती है, डराती है और बीमार कर देती है। यह काम करता है इमरान हाशमी, जो बिपाशा का प्रेमी है लेकिन बाद में ईशा से प्यार करने लगता है और बिपाशा के कुकर्म में साझीदार बनने से मना कर देता है। उसी के कारण ईशा बीमार हुई है, वही ईशा की आत्मा को मुक्त कराने के लिए परलोक जाता है। फिल्म का सबसे बेहतरीन पक्ष उसके संवाद और सिनेमेटोग्राफी है। बिपाशा बसु, ईशा गुप्ता और इमरान हाशमी, तीनों का काम उत्तम है। सन् 2002 में ‘राज‘ से शुरू हुआ इमरान हाशमी का फिल्मी सफर ‘राज-3‘ में दस वर्ष पूरे कर रहा है। ‘राज‘ में वह सहायक निर्देशक थे। ‘राज-3‘ में लीड एक्टर हैं। ईशा पर कॉक्रोचों को हमले वाला दृश्य यादगार है। भट्ट कैंप की सफल फिल्म है।
निर्देशक: विक्रम भट्ट
कलाकार: इमरान हाशमी, बिपाशा बसु, ईशा गुप्ता, मनीष चौधरी
गीत: संजय मासूम/कुमार राशिद खान
संगीत: जीत गांगुली /राशिद खान
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