फिल्म समीक्षा
प्यार और जंग की कशमकश: जिस्म-2
धीरेन्द्र अस्थाना
सुपरहिट फिल्म ‘जिस्म‘ से ‘जिस्म-2‘ का कोई लेना-देना नहीं है। इस फिल्म का कोई नया नाम भी हो सकता था लेकिन शायद भट्ट कैंप के मन में जिस्म की शोहरत भुनाने की बात रही होगी इसीलिए इस फिल्म को ‘जिस्म-2‘ नाम दिया गया। कथा-पटकथा स्वयं महेश भट्ट की है तो कहानी के स्तर पर तो फिल्म को उम्दा होना ही था। लेकिन इसमें भी कहानी शुरू होती है इंटरवल के बाद ही। इंटरवल से पहले तक सिर्फ तन की नुमाइश है या फिर चरित्रों को स्थापित और परिभाषित करने की कोशिश। कुल तीन चरित्रों की कहानी है। रणदीप हुडर को एक साइको किलर के तौर पर पेश किया गया है जो खुद को देशभक्त मानता है। मोटे तौर पर वह विलेन है। अरुणोदय सिंह को एक इंटेलिजेंस ऑफीसर बताया गया है। यानी हीरो है। सनी लियोन एक जिस्म बेचने वाली औरत है जो कभी रणदीप हुडा से प्यार करती थी, लेकिन जिसे एक रात रणदीप हमेशा के लिए छोड़ गया था। अरुणोदय सिंह रणदीप और उसके नेटवर्क को तबाह करने के मिशन में सनी लियोन को दस करोड़ रुपये देकर अपने साथ मिलाता है। सनी को फिर से रणदीप के जीवन में उतरना है और उसका डेटा चुराना है। इस मिशन के बीच में चुपके से उतरता है प्यार। इस प्यार का पीछा करती है नफरत। इस नफरत और प्यार की जंग के दौरान कहानी एक नया मोड़ ले लेती है। जो जासूस हैं वो निकलते हैं ‘बार इंडस्ट्री‘ के लिए काम करने वाले देशद्रोही और जो विलेन है वह बनता है सच्चा देशभक्त, लेकिन अपने खुद के जुनून और सनक में जकड़ा हुआ। अंत में फिल्म के तीनों किरदार एक दूसरे की गोलियों का शिकार होकर मारे जाते हैं। हाई वोल्टेज ड्रामा है जिसे रणदीप हुडा ने अपने अकेले के दम पर काफी ऊंचाई दी है। पता नहीं सनी लियोन को भट्ट साहब ने क्यों हीरोइन बनाया। उसे अभिनय करना नहीं आया। अरुणोदय सिंह को ज्यादा मौका नहीं मिला फिर भी उसने खुद को एक्शन और इमोशन से खुद को साबित करने की कोशिश की। फिल्म के संवाद अर्थपूर्ण और मर्मस्पर्शी हैं। मौला वाला गीत सुनने में अच्छा लगता है। इसके बोल भी बेहतरीन हैं और गायकी भी दिल को भाती है। पूजा भट्ट का निर्देशन भी चुस्त दुरुस्त है। एडल्ट मूवी है तो उस तरह के दृश्य भी हैं जिन्हें देखना युवा वर्ग पसंद करता है।
निर्देशक: पूजा भट्ट
पटकथा: महेश भट्ट
कलाकार: रणदीप हुडा, सनी लियोन, अरुणोदय सिंह
संगीत: एपी मुखर्जी, मिथुन, रक्षक, अब्दुल सईद
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