फिल्म समीक्षा
इस ‘अपार्टमेंट‘ में क्यों रहना?
धीरेन्द्र अस्थाना
निर्देशक जगमोहन मूंदड़ा की फिल्म थी इसलिए बड़े चाव से देखने पहुंचे थे। लेकिन ‘अपार्टमेंट‘ तो पूरी तरह खाली निकला। कोई इस ‘अपार्टमेंट‘ में क्यों रहना चाहेगा? एक अदद सशक्त कहानी तक नहीं बुनी जा सकी। एक नीतू चंद्रा को छोड़ कर कोई नया आर्टिस्ट कायदे से अभिनय भी नहीं कर सका। एक अदद आइटम सांग बेवजह ठूंसा गया। असल में तो पूरी फिल्म में गानों की जरूरत ही नहीं थी। हीरो रोहित राॅय और हीरोईन तनुश्री दत्ता की जोड़ी जरा भी रोमांटिक नहीं लगती। अनुपम खेर मंजे हुए अभिनेता हैं। अपनी उपस्थिति से दिलासा देते रहे।
मुंबई के एक महंगे अपार्टमेंट में अकेले रहना ‘एफोर्ड‘ नहीं कर सकती तनुश्री इसलिए अपने ब्वायफ्रेंड रोहित राॅय को अपना रूम मेट बना कर उससे भाड़ा लेती है। शक्की स्वभाव की तनुश्री जरा सी बात पर रोहित को निकाल देती है। अब महंगी ईएमआई कहां से आये? एक कमरा भाड़े पर देने का विज्ञापन देती है। दर्जनों लड़कियां घर देखने आती हैं जिनमें से नीतू चंद्रा अपनी सादगी और संवेदनशीलता के कारण तनुश्री को पसंद आ जाती है और इस प्रकार दोनों साथ रहने लगते हैं। नीतू चंद्रा क्रमशः तनुश्री की निजी जिंदगी पर हक जमाने लगती है जिससे तनुश्री ‘अपसेट‘ हो जाती है। इस बीच अनुपम खेर के समझाने पर तनुश्री की रोहित से सुलह हो जाती है। यह सुलह अनुपम खेर ने करवायी है इसलिए नीतू पहले अनुपम की लाडली बिल्ली को और फिर अनुपम खेर को भी मार देती है। मरने से पहले अनुपम ईगतपुरी जाकर नीतू का अतीत जान आए थे कि वह एक मनोरोगी है तथा एक हत्या के जुर्म में सजा भी काट आयी है। नीतू यह बात जान चुकी है इसलिए पहले वह अनुपम खेर को मारती है फिर तनुश्री को बंधक बना लेती है। इसी क्रम में वह घर आये पुलिस इंस्पेक्टर का मर्डर करती है फिर रोहित को घायल करती है फिर बिल्डिंग के टैरेस पर तनुश्री को साथ लेकर पहुंच जाती है। अंततः तनुश्री का हाथ छोड़ वह नीचे गिर कर मर जाती है। मानसिक विचलन का शिकार एक असुरक्षित, अनाथ लड़की के नीम-पागल रोल में नीतू चंद्रा का अभिनय इस फिल्म की इकलौती उपलब्धि है।
निर्देशक: जगमोहन मूंदड़ा
कलाकार: रोहित राॅय, तनुश्री दत्ता, नीतू चंद्रा, अनुपम खेर, मुश्ताक खान
संगीत: बप्पी लाहिरी
Saturday, April 24, 2010
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