Tuesday, November 18, 2014

सुपर नानी


फिल्म समीक्षा

नौटंकी बन गयी सुपर नानी

धीरेन्द्र अस्थाना

मसाला फिल्में होने के बावजूद निर्देशक इंद्रकुमार की फिल्में आम तौर पर दर्शनीय होती हैं। उनमें कॉमेडी के साथ इमोशन का भी संतुलित तड़का होता है और उनकी मेकिंग भी सधी हुई तथा परिपक्व होती है। मगर अपनी नयी फिल्म सुपर नानी का निर्माण करते समय इंद्रकुमार से एक दो नहीं कई गलतियां हो गयी हैं। एक अच्छा विषय उन्होंनें चुना था। परिवार में मां का दर्जा। मां जो खुद को मिटा कर घर परिवार को खड़ा करती है। जो साल के तीन सौ पैंसठ दिन चौबीस घंटे बिना पगार लिए काम करती है। जो कभी रिटायर नहीं होती है। जो अपने पति, बेटे, बेटी, बहु के सुख की खातिर खुद को तिरोहित कर देती है। लेकिन बदले में उसे परिवार का प्यार नहीं वंचना और हिकारत मिलती है। इस मार्मिक विषय पर इंद्रकुमार जैसा परिपक्व निर्देशक एक मर्मांतक और यादगार अफसाना रच सकते थे। शायद इसी चाहत के चलते उन्होंने यह विषय उठाया भी होगा। मगर अफसोस, उनसे सबसे बड़ी चूक यह हो गयी कि वह भूल गये कि वह सन 2014के अंतिम महीनों में खड़े हैं। सिनेमा बहुत आगे बढ़ गया है जबकि इंद्रकुमार ने बहुत पुराने छूटे हुए समय, शायद 70 या 80 के दशक वाले विचार में रह कर यह फिल्म बना डाली है। अगर अपने विषय को उन्होंने पर्दे पर उतारते समय आजकी चेतना और समय तथा मुहावरे का स्पर्श दे दिया होता तो फिल्म अमिताभ बच्चन की बागबान की तरह कमाल रच सकती थी। जोर जोर से बोले गये संवादों, बोर करती भावुकता, हर पल बहते आंसुओं और पारिवारिक सदस्यों की लाउड एक्टिंग के कारण पूरी फिल्म नौटंकी बन कर रह गयी है। दो हफ्ते पहल आई फिल्म सोनाली केबल में अपने खराब अभिनय से अनुपम खेर ने दर्शकों को जो दुख दिया था उसका पश्चाताप इस फिल्म में हो गया है। हिलती हुई गर्दन का एक नया ही लुक दे कर अनुपम ने अपनी एक्टिंग बुक में एक नया पाठ जोड़ दिया है। शरमन जोशी और रेखा तो मंज हुए कलाकार हैं। मगर इंद्रकुमार की बेटी श्वेता कुमार को अगर सिनेमा में ही करियर बनाना है तो उन्हें अभिनय के कई पाठ सीखने होंगे। उन्हें अनुष्का, परिणीता और आलिया जैसी कई प्रतिभाशाली युवा अभिनेत्रियों के सामने खुद को प्रमाणित करना है। वंचित, अपमानित रेखा को फिर से उसके सुनहरे दिनों में लौटने में मदद कर शरमन जोशी रेखा के परिवार के दुष्ट और घटिया सदस्यों को एक एक कर अच्छा सबक सिखाता है। सबसे अंत में रेखा के पति बने रणधीर कपूर भी पश्चाताप के घर में लौटते है। नानी को सुपर नानी बना कर शरमन विदेश चला जाता है। रेखा के परिवार में सुख लौटता है।
निर्देशक : इंद्रकुमार
कलाकारः, रेखा, शरमन जोशी, श्वेता कुमार, रणधीर कपूर, अनुपम खेर
संगीत : हर्षित सक्सेना, संजीव दर्शन




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