Monday, June 9, 2014

हॉलीडे


फिल्म समीक्षा

रोमांस, एक्शन और रोमांच का पैकेज : हॉलीडे  

धीरेन्द्र अस्थाना

कुछ जुनूनी निर्देशकों द्वारा सार्थक फिल्मों की कतार लगा देने के कारण मुख्यधारा सिनेमा के निर्माता-निर्देशक भी दबाव में आ गए लगते हैं। तभी न कमर्शियल फिल्मों के सफल प्रोड्यूसर विपुल शाह ने ‘हॉलीडे‘ जैसी फिल्म में पैसा लगाया जो मनोरंजन के साथ-साथ मैसेज भी देती है। एक्शन, रोमांस और रोमांच का एक अच्छा पैकेज पेश करती है फिल्म। सुंदर कॉमेडी का तड़का भी है। रोमांस को भी वल्गर नहीं होने दिया गया है। अक्षय के अपोजिट एक सीनियर स्टार की बेटी सोनाक्षी सिन्हा है इसलिए निर्देशक ने बाकायदा यह ध्यान रखा कि जैसे ही होठ चूमने के दृश्य आते हैं कोई न कोई बाधा दस्तक दे देती है। फिल्म में गानों की कोई जरूरत नहीं थी लेकिन हिंदी फिल्मों के दर्शकों का काम गानों के बिना चलता नहीं है इसलिए गाने हैं और फिल्म की रिलीज से पहले ही हिट भी हो चुके हैं। प्रीतम का संगीत कर्णप्रिय है। फिल्म ने एक सार्थक मुद्दा उठाया है। आतंकवादियों के मास्टर माइंड इस थ्योरी पर काम करते हैं कि आम जनता के बीच रहने-उठने-बैठने-जीने वाले आम लोगों को अपना कार्यकर्ता बनाओ। ऐसे लोगों को चुनो जो किसी न किसी कारण अपने मुल्क, सिस्टम या शासन से खफा हैं। उनकी नाराजगी को नफरत में बदल कर उसे विद्रोह का आकार दो और उस चिंगारी को नोटों की हवा से शोलों में भड़कने दो। आतंकवादी ऑपरेशन की भाषा में इन लोगों को ‘स्लीपर सेल‘ कहा जाता है। इनके इमीजिएट बॉस भी ‘स्लीपर सेल‘ के लोग ही होते हैं। मास्टर माइंड के बारे में इन्हें कुछ पता नहीं होता। ये पकड़े भी जाते हैं तो मुख्य साजिशकर्ता तक नहीं पहुंचा सकते। अच्छा थीम है। लोगों को आतंकवादी ऑपरेशन और उसके खिलाफ देशभक्तों की जंग को किसी महत्वपूर्ण पाठ की तरह दिखाती है यह फिल्म। न सिर्फ जागरूक करती है बल्कि यह संदेश भी देती है कि आंतक के खिलाफ लड़ने का ठेका पुलिस या सेना ने ही नहीं ले रखा है। आम नागरिक को भी इसके विरूद्ध लामबद्ध होना चाहिए। फिल्म के अंत में अक्षय और सोनाक्षी का विवाह नहीं हो पाया है इससे लगता है कि ‘हॉलीडे‘ का सीक्वेल भी बनेगा। आतंकवादियों के मास्टर माइंड बने युवा एक्टर फरहाद की यह पहली फिल्म है। इस लड़के ने बेहतर काम किया है लेकिन दिक्कत यह है कि अब इसके ऊपर विलेन का ठप्पा लग गया है। सुमित राघवन तो टीवी के मंजे हुए कलाकार हैं। यहां उन्होंने अक्षय कुमार के हर समय बौखलाये से रहने वाले पुलिस ऑफीसर का दोस्त शानदार ढंग से प्ले किया है। सोनाक्षी अब नंबर वन के पायदान पर हैं। थोड़ा मोटापा और कम करना चाहिए। फिल्म में गोविंदा को बरबाद कर दिया गया है। हालांकि अपनी इस बरबादी के वह खुद जिम्मेदार हैं। ऐसा फिलर टाइप का रोल उन्हें करना ही नहीं चाहिए था। अक्षय के एक्शन और स्टाइल में दम है। निर्देशक ए.आर. मुरूगादॉस उनसे उनका बेहतर काम निकलवाने में कामयाब हुए हैं। इस बार अक्षय ने सलमान की तरह अपना स्टाइल स्टेटमेंट भी देने का काम किया है। आंख से चश्मा उठाना और बांह से आस्तीन को ऊपर चढ़ाने वाला अंदाज दर्शकों ने नोट किया। तालियां भी बजाईं। हिट है बॉस। 
निर्देशक : ए.आर. मुरूगादॉस
कलाकार : अक्षय कुमार, सोनाक्षी सिन्हा, फरहाद, सुमित राघवन
संगीत : प्रीतम चक्रवर्ती

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