फिल्म समीक्षा
एक्शन, इमोशन, डायलॉग का कॉकटेल
सिंह साब द ग्रेट
धीरेन्द्र अस्थाना
अगर आप सनी देओल के जबर्दस्त प्रशंसक हैं
तो उनके कुछ जानदार डायलॉग सुनने और कुछ दमदार एक्शन देखने के लिए फिल्म देख सकते
हैं। निर्देशक अनिल शर्मा ने एक बहुत बार दिखाई गयी पुरानी कहानी को थोड़े बहुत हेर
फेर के साथ बेहद थके हुए ढंग से पेश किया है। ‘दारू बंद कल से‘ वाला गाना अपने बोल और फिल्मांकन की वजह से फिल्म की जान है वरना तो
हर गाने पर दर्शक उठ कर हॉल से बाहर जाते रहे। एक सौ पचास मिनट की यह फिल्म बड़े
आराम से काट-पीट कर एक सौ बीस मिनट की बनायी जा सकती थी। कुछ मिला कर ‘सिंह साब द ग्रेट‘ एक्शन, इमोशन और डायलॉगबाजी का एक साधारण सा कॉकटेल है जो थोड़ा भी सुरूर
पैदा नहीं करता। इमोशन के कई दृश्यों को बेवजह बहुत लंबा खींचा गया है। क्लीन
शेव्ड सनी देओल के चेहरे पर उतरा हुआ अधेड़पन साफ नजर आता है लेकिन सरदार के रोल
में वह जंचते भी हैं और प्रभावित भी करते हैं। एक्शन और गुस्से के दृश्यों में वह
खासा कमाल कर गये हैं। प्रकाश राज खलनायकी के अपने पुराने अवतार में हैं। वह
दर्शकों को कुछ नया नहीं दे पा रहे हैं। इस बार उन्होंने अपनी कुटिलता में इमोशन
का छौंक डाल कर एक नया रंग देने की कोशिश जरूर की है। बदले से शुरू हुई कथा बदलाव
पर जोर देती हुई आगे बढ़ती है। काफी मारामारी और हिंसा के बाद फिल्म इस मोड़ पर आकर
खत्म होती है कि प्रकाश राज के भीतर का दानव परास्त हो जाता है और वह सनी देओल के
सामने हाथ जोड़ कर उनका शुक्रिया अदा करता है कि उन्होंने डॉक्टर को प्रकाश राज की
घायल बेटी का ऑपरेशन करने के लिए मना लिया। सनी देओल अपनी ताकत, जन समर्थन तथा मीडिया सहयोग के बल पर पूरे प्रदेश में बदलाव की एक
हवा को तेज करने वाले जन नेता के तौर पर पेश हुए हैं। उनकी पत्नी, नयी एक्ट्रेस उर्वशी रौतेला को कुछ खास करने का मौका नहीं मिला। वैसे
भी वह फर्स्ट हाफ में ही मर जाती है। टीवी पत्रकार बनी अमृता राव बड़ी फनी लगती
हैं। वह सीधी सादी नेक्सट डोर गर्ल के किरदारों में ही ज्यादा असरदार नजर आती हैं।
जॉनी लीवर का काम उम्दा है। बहुत सारे गुंडों ने भी अच्छा काम किया है। फिल्म की
यूएसपी उसके डायलॉग हैं।
निर्देशक: अनिल शर्मा
कलाकार: सनी देओल, अमृता राव, उर्वशी रौतेला, जॉनी लीवर, प्रकाश राज, यशपाल शर्मा
संगीत: सोनू निगम, आनंद राज आनंद
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